बैंकों का समूह माल्या के किंगफिशर हाउस की बिक्री के लिये द्विपक्षीय समझौते पर कर रहा है गौर
मुंबई : बैंक विजय माल्या से अपने बकाये की वसूली के लिये किंगफिशर हाउस की बिक्री के लिये नये सिरे से प्रयास करना शुरू किया है. इसके लिये बैंक ऋण नहीं लौटाने वाले शराब व्यवसायी के आलीशान गोवा विला की हाल में हुई बिक्री में उपयोग किये गये मॉडल को अपना रहे हैं. मुंबई स्थित […]
मुंबई : बैंक विजय माल्या से अपने बकाये की वसूली के लिये किंगफिशर हाउस की बिक्री के लिये नये सिरे से प्रयास करना शुरू किया है. इसके लिये बैंक ऋण नहीं लौटाने वाले शराब व्यवसायी के आलीशान गोवा विला की हाल में हुई बिक्री में उपयोग किये गये मॉडल को अपना रहे हैं. मुंबई स्थित संपत्ति की नीलामी के लिये बार-बार प्रयासों के बावजूद खरीदार नहीं तलाशा जा सका. ऐसी ही स्थिति गोवा विला की थी.
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हाल ही में गोवा विला को बेचने के लिये बैंकों ने खरीदार के साथ द्विपक्षीय समझौते को लेकर सीधी बातचीत की गयी. अगर बैंक संपत्ति को कम-से-कम दो नीलामी में बेचने में विफल रहते हैं तो उनके पास अपने अधीन संपत्ति को खरीदार के साथ निजी समझौते के जरिये बेचने का विकल्प है.
बैंक सूत्र के अनुसार, ‘विला की बिक्री के साथ कम-से-कम प्रक्रिया शुरू हुई है. हम द्विपक्षीय समझौते के जरिये किंगफिशर हाउस की बिक्री का विकल्प तलाश सकते हैं.’ इस महीने की शुरुआत में भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में 17 बैंकों के समूह ने 73.01 करोड़ रुपये में किंगफिशर विला विकिंग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट के सचिन जोशी को बेचा.
इससे पहले, समूह पिछले साल तीन बार की नीलामी में इसे नहीं बेच पाया था. उत्तरी गोवा में स्थित आलीशान संपत्ति बैंकों तथा जोशी के बीच निजी सौदे के जरिये बेची गयी. इसे पिछले बार आरक्षित मूल्य 73 करोड़ रुपये से केवल एक लाख रुपये अधिक में बेचा गया. विजय माल्या के उपर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है.
उन्होंने यह कर्ज बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए लिया था. हालांकि ऐसा आरोप है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा कथित रूप से विदेशों में कर चोरों के पनाहगाह देशों में मुखौटा कंपनियों को भेजा गया. माल्या को चूककर्ता घोषित किया गया है और ऋण नहीं लौटाने के मामले में वांछित हैं. बैंकों ने किंगफिशर हाउस को बेचने के लिये चार बार प्रयास किये लेकिन वे सफल नहीं हो पाये. पिछली नीलामी में इसके लिये आरक्षित मूल्य 103.50 करोड़ रुपये तय किया गया जो दिसंबर 2016 में हुई नीलामी के लिए रखे गये आरक्षित मूल्य के मुकाबले 10 प्रतिशत कम है.
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