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नीति आयोग ने जारी किया तीन साल का एक्शन प्लान, नौकरियों के लिए इन उपायों पर जोर

नीति आयोग ने कल साल 2017-20 के लिए एक्शन प्लान लांच किया. आयोग ने 15 साल का विजन,सात साल की रणनीति और तीन साल के एक्शन प्लान को लेकर खुलासे किये. इनमें नौकरियां बढ़ाने पर जोर दिये जाने की बात कही गयी है. अलग -अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से राय लेकर यह एक्शन प्लान तैयार […]

नीति आयोग ने कल साल 2017-20 के लिए एक्शन प्लान लांच किया. आयोग ने 15 साल का विजन,सात साल की रणनीति और तीन साल के एक्शन प्लान को लेकर खुलासे किये. इनमें नौकरियां बढ़ाने पर जोर दिये जाने की बात कही गयी है. अलग -अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से राय लेकर यह एक्शन प्लान तैयार की गयी है. आइएमएफ की रिपोर्ट की हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015 में जहां चीन की प्रतिव्यक्ति आय 8,141 रुपये थी वहीं भारत की प्रति व्यक्ति आय 1,604 यूएस डॉलर है. भारत को नौकरियां पैदा करने पर जोर देना चाहिए क्योंकि देश में इसकी भारी कमी है.

नौकरियों के लिए निर्यात में वृद्धि देने की जरूरत
नौकरियां बढ़ाने के लिए निर्यात में वृद्धि की जरूरत है. भारत और चीन की आबादी लगभग बराबर है. चीन का वैश्विक निर्यात में हिस्सेदारी 13.72 प्रतिशत है. वहीं भारत की हिस्सेदारी 1.67 प्रतिशत है. चीन की जीडपी भारत से 5.2 गुनी ज्यादा है. एक्शन प्लान के अनुसार भारत को सस्ते श्रम का लाभ नहीं मिल पा रहा है. खासतौर से कपड़ा और फुटवियर उद्योग में जहां इसे मिलनी चाहिए थी. ज्ञात हो कि चीन में लोगों की आय बढ़ने के साथ सस्ता श्रम मिल पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे परिस्थिति में बहुराष्ट्रीय कंपनियां ताइवान, सिंगापुर, चीन और हांगकांग से दूर हटकर नये देशों का रूख करेगी. फिलहाल इसका फायदा बंग्लादेश, वियतनाम और मलेशिया को मिल रहा है.
एक्शन प्लान की रिपोर्ट में सेज (SEZ) की जगह CEZ की स्थापना की सलाह दी गयी है. CEZ यानि ‘कोस्टल एम्प्लॉयमेंट जोन’ बनाया जाये. 500 किमी के लंबे क्षेत्रफल में इसे तैयार की जानी चाहिए. 2015 में जारी आंकड़े के मुताबिक 83 प्रतिशत भारतीय वर्कर स्वयं के किसी धंधे में है या फिर कंट्रेक्ट में काम कर रहे हैं.
इन सेक्टर्स के मैन्यूफैक्चरिंग में जोर देने की सलाह
1.कपड़ा :सिंथेटिक कपड़े के निर्माण में भारत हमेशा से फिसड्डी साबित हुआ है. यह इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि सूती कपड़ों की तुलना में सिंथेटिक कपड़ों की मांग ज्यादा है. भारत का प्रदर्शन सूती कपड़ों में तो सही रहा है लेकिन सिंथेटिक कपड़ों में भारत अन्य देशों की तुलना में पिछड़ गया.
2.इलेक्ट्रॉनिक्स : 1970 और 1990 में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट के उत्पादन से ताइवान और सिंगापुर की किस्मत चमकी . चीन पिछले 15 सालों से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग का हब रह चुका है. भारत 45 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट का आयात करता है. इस लिहाज से इस क्षेत्र में काफी रोजगार पैदा करने की गुंजाईश है.

3. फूड प्रोसेसिंग : फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के कई फायदे हैं. यह सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाता है, क्योंकी यह खाद्य समाग्री को बेकार होने से बचाता है और खाद्य़ समाग्री के निर्यात से किसानों की आमदनी बढ़ सकती है. फूड क्वालिटी को ठीक करने के लिए 40 जगहों पर फूड क्वालिटी सेंटर स्थापित करनी चाहिए,

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