नयी दिल्ली : सरकार की गेहूं पर आयात शुल्क को और बढ़ा कर 25 प्रतिशत करने की तत्काल कोई योजना नहीं है. इसकी वजह यह है कि सीमाशुल्क की मौजूदा दर पर भी विदेशों से गेहूं की खरीद नहीं हो रही है. फसल वर्ष 2016-17 (जुलाई से जून) में करीब 9.8 करोड़ टन के रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन के मद्देनजर इसके आयात को रोकने के लिए 28 मार्च को गेहूं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया गया था. इससे पहले करीब चार महीने तक गेहूं पर किसी तरह का आयात शुल्क नहीं लगाया गया था.
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने साचार एजेंसी से बातचीत में कहा, जब मौजूदा आयात शुल्क पर कोई आयात नहीं हो रहा है तो इसे और बढ़ाने का कोई प्रश्न ही नहीं है. इसके अलावा ऐसा कोई प्रस्ताव हमें अभी प्राप्त नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि मार्च महीने के अंत तक निजी व्यापारियों के द्वारा करीब 55 लाख टन गेहूं का आयात किया गया और इसमें ज्यादातर शून्य सीमा शुल्क पर आयात हुआ. उन्होंने कहा कि बंपर नयी फसल की उम्मीदों के बीच घरेलू बाजार में इसकी पर्याप्त आपूर्ति हो रही है. सरकार और निजी कंपनियां दोनों ही किसानों से गेहूं की खरीद कर रही हैं.
अब तक दो करोड़ टन गेहूं की खरीद
पासवान के मुताबिक, अभी तक सरकारी एजेंसियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दो करोड़ टन से भी अधिक गेहूं की खरीद की है. खरीद की गति को देखते हुए हमें गेहूं खरीद चालू वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य यानी 3.3 करोड़ टन से अधिक रहने की उम्मीद है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में गेहूं खरीद का काम लगभग पूरा हो गया है, जहां अभी तक 64 लाख टन गेहूं की खरीद की गयी है, जबकि पंजाब में 88 लाख टन गेहूं की खरीद की गयी है.
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