नयी दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने सार्वजनिक बैंकों में एनपीए की बढ़ती समस्या से निबटने के लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के अध्यादेश को बुधवार को हरी झंडी दे दी. इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है. इस अध्यादेश के जरिये बैंकिंग नियमन कानून की धारा 35 -ए में संशोधन का प्रस्ताव है.
इस संशोधन के बाद रिजर्व बैंक ऋण चूककर्ताओं से कर्ज की वसूली के लिए बैंकों को निर्देश जारी कर सकेगा. अध्यादेश से आरबीआइ के अधिकार में और बढ़ोतरी होगी. वह एनपीए से संबंधित व्यक्ति या कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश बैंकों को दे सकेगा. इस तरह बैंकों से लोन लेकर नहीं लौटाने वाले उद्योगपतियों व लोगों के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता साफ हो सकेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कोई ब्योरा दिये बिना कहा कि कैबिनेट ने बैंकिंग क्षेत्र के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये हैं. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही इसका ब्योरा साझा किया जायेगा. मालूम हो कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का डूबा कर्ज या एनपीए छह लाख करोड़ रुपये के भारी-भरकम आंकड़े पर पहुंच चुका है.
सैन्य बलों को विकलांगता पेंशन
सैन्य बलों के कर्मियों की मांग मानते हुए सरकार ने विकलांगता पेंशन की पुरानी व्यवस्था के साथ बने रहने व सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को नहीं अपनाने का फैसला किया. सैन्य बल विकलांगता पेंशन के लिए प्रतिशत आधारित व्यवस्था पर वापस लौटने का दबाव बना रहे थे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशवाली स्लैब आधारित व्यवस्था का विरोध कर रहे थे.
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