अब आप आधार से भी कर सकेंगे बिजली के बिल का भुगतान, पीयूष गोयल ने राज्यों को दिया निर्देश

नयी दिल्ली : सरकारी कामकाजों में आधार नंबर अब निहायत ही जरूरी हो गया है. रसोई गैस सिलेंडर लेने से लेकर बैंक खाता खुलवाने और अब बिजली बिल के भुगतान में भी आधार नंबर का इस्तेमाल जरूरी हो गया है. हालांकि, आधार को जरूरी सेवाओं के लिए अनिवार्य किए जाने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2017 9:48 AM

नयी दिल्ली : सरकारी कामकाजों में आधार नंबर अब निहायत ही जरूरी हो गया है. रसोई गैस सिलेंडर लेने से लेकर बैंक खाता खुलवाने और अब बिजली बिल के भुगतान में भी आधार नंबर का इस्तेमाल जरूरी हो गया है. हालांकि, आधार को जरूरी सेवाओं के लिए अनिवार्य किए जाने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. बावजूद इसके सरकार ने आधार नंबर को बिजली बिल के भुगतान से जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. केंद्र सरकार ने राज्यों से बिजली के बिलों का डिजिटल भुगतान आधार से जुड़े बैंक खातों के माध्यम से सुनिश्चित करने को कहा है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि बिजली बिल को आधार से जोड़ना ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित होगा.

इसे भी पढ़ें : आधार नंबर केवल सब्सिडी के लिए ही नहीं, अब डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के लिए भी होगा जरूरी

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊर्जा और खदान मंत्रियों की कॉन्फ्रेंस में गोयल ने कहा कि यह जरूरी नहीं है, लेकिन सभी के हित में है. इसका कारण यह है कि अगर आप बिल का भुगतान डिजिटल माध्यम से करेंगे, तो आपके पास यह ठीक-ठीक सबूत होगा कि आपने बिल का भुगतान किया है. यह पहल जनता को मदद पहुंचायेगी और इस संबंध में कोशिश की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि इसका फैसला राज्यों को लेना है कि वे बिजली बिलों के भुगतान की प्रणाली को आधार से जुड़े खातों से जोड़ें या नहीं, लेकिन निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि यह ग्राहकों के हित में है.

इतना ही नहीं, सरकार ने हाल ही में आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को जरूरी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने अपनी तरफ से साफ किया है कि पैन नंबर के जरिये होने वाली जालसाजी को रोकने के लिए आधार को अनिवार्य किया जाना जरूरी है.

गोयल ने यह भी कहा कि सरकार राज्यों को बिजली आवंटन के मसौदे को फिर तैयार कर रही है. उन्होंने कहा कि हम इस फॉर्म्युले पर काम कर रहे हैं. हम इस बात पर फिर से विचार कर रहे हैं कि हम इसे (पावर आवंटन पॉलिसी) किस तरह मजबूत बना सकते हैं.

फिलहाल, गाडगिल फॉर्म्युले पर बिजली का बंटवारा होता है. इसके तहत राज्यों के प्लान के लिए केंद्रीय मदद के लिए नियम और शर्तों को तय किया जाता है. उनका यह भी कहना था कि ज्यादा से ज्यादा बिजली उन को दी जायेगी, जो न्यूक्लियर प्लांट्स स्थापित करने को बढ़ावा देंगे.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version