नयी दिल्ली : केंद्रीय जांच अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मुखौटा कंपनियों के खिलाफ अपनी तीन साल की जांच के दौरान 339 मुखौटा (एक तरह से फर्जी) कंपनियों के एक जाल का पता लगाया है, जिनके जरिये 2900 करोड़ रुपये की बड़ी रकम की हेराफेरी की गयी है. सीबीआई के सूत्रों ने कहा है कि इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल बैंकों के ऋण के गबन, फर्जी बिलों और ‘धन को घुमा फिरा कर लाने’ टैक्स चोरी व ब्लैक मनी सृजित करने में किया गया. इसके साथ ही, सीबीआई की नजर करीब 30,000 करोड़ रुपये की रकम से जुड़े करीब 200 मामलों की जांच कर रही है.
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साथ ही, इनके जरिये करों की पनाहगाह कहे जानेवाले देशों को भी धन भेजा गया. फिर उस धन को विदेशी निवेश के रूप में वापस लाने के लिए भी इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया गया. सीबीआई को अब तक मिली जानकारी वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. ये मामले वे हैं, जहां सीबीआई बैंकों से धोखाधड़ी, ऋण के पैसे की हेराफेरी और धन के लेन-देन के रास्तों का सुबूत जुटा पायी है.
अपना नाम जाहिर नहीं किये जाने की शर्त पर एक अफसर ने बताया कि सीबीआई ने 28 सार्वजनिक व एक निजी बैंक से जुड़े कर्ज धोखाधड़ी की जांच के दौरान हेराफेरी को पकड़ा है. साथ ही, सीबीआई कम से कम 30,000 करोड़ रुपये के धन से जुड़े 200 मामलों की जांच कर रह रही है. सीबीआई ने अब तक जिन कंपनियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाये हैं, उनमें वह भ्रष्टाचार व अन्य संबंद्ध अपराधों के लिए मामले दायर कर रही है.
सीबीआई ने इन मामलों को अन्य जांच एजेंसियों के पास भी भेजा है, ताकि इनमें कंपनी कानून, मनी लाउंडरिंग निरोधक कानून (पीएमएलए), बेनामी लेनदेन (निरोधक) कानून व आयकर कानून जैसे कानूनों के तहत कार्रवाई की जा सके. सीबीआई ने जालसाज कंपनियों को पकड़ा ही नहीं है, बल्कि परिचालन में उनके इस्तेमाल किये जाने की संभावना को भी ‘बंद’ कर दिया है. इन कंपनियों का इस्तेमाल अन्य लोगों ने अपराधों के लिए किया हो. सीबीआइ के अलावा दूसरी एजेंसियां भी भी जांच करेंगी.
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