भारी छंटनी करने की फिराक में आईटी कंपनियां, इन्फोसिस के बाद टेक महिंद्रा भी छीन सकती है सैंकड़ों की नौकरी

नयी दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा के नियमों में सख्ती बरतने का ऐलान क्या किया, मानो भारत की आईटी क्षेत्र की कंपनियों पर गाज गिर गयी. अमेरिका में स्थानीय लोगों को नौकरी देने के लिए आईटी क्षेत्र की कंपनियां भारत में भारी मात्रा में छंटनी करने की फिराक में लग चुकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2017 9:37 AM

नयी दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा के नियमों में सख्ती बरतने का ऐलान क्या किया, मानो भारत की आईटी क्षेत्र की कंपनियों पर गाज गिर गयी. अमेरिका में स्थानीय लोगों को नौकरी देने के लिए आईटी क्षेत्र की कंपनियां भारत में भारी मात्रा में छंटनी करने की फिराक में लग चुकी हैं. इन्फोसिस व विप्रो के बाद आईटी कंपनी टेक महिंद्रा भी अपने सैकड़ों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर रही है.

बताया जा रहा है कि भारत की आईटी कंपनियों में कारोबार के हिसाब से पांचवें स्थान पर आने वाली टेक महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों की सालाना कामकाज आकलन प्रक्रिया शुरू चुकी है. टेक महिंद्रा ने ईमेल से भेजे एक बयान में कहा है कि हम हर साल निष्पादन के लिहाज से निम्न रहने वालों की छंटनी करते हैं. यह साल भी अलग नहीं होगा. हालांकि, कंपनी ने यह नहीं बताया कि कितने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. इस उद्योग सूत्रों का कहना है कि यह संख्या कुछ सौ हो सकती है.

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गौरतलब है कि एच-1बी वीजा को लेकर अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की ओर से नियमों को सख्त किये जाने के बाद से ही भारत की आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों पर गाज गिराना शुरू कर दिया है. अमेरिका के स्थानीय निवासियों को रोजगार देने के चक्कर में पहले आईटी क्षेत्र की दो दिग्गज भारतीय कंपनियां कॉग्नीजेंट और विप्रो ने कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया है. इन दोनों कंपनियों के बाद अब तीसरी भारतीय कंपनी इन्फोसिस ने अमेरिका में 10 हजार लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए भारत में छंटनी करने का मन बनाया है.

बताया जा रहा है कि प्रमुख आईटी कंपनी इन्फोसिस अपने मिडिल और सीनियर स्तर के सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. कंपनी चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच छमाही कामकाजी समीक्षा कर रही है. इन्फोसिस यह काम ऐसे समय में कर रही है, जब विप्रो और कॉग्नीजेंट जैसी अन्य कंपनियां भी लागत घटाने के लिए ऐसे कदम उठा रही हैं. आश्चर्यजनक बात यह भी है कि इन्फोसिस अगले दो साल में 10,000 अमेरिकी नियुक्त करेगी. इसके लिए वह अमेरिका में चार केंद्र भी खेल रही है.
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