लंदन : सुरक्षा एजेंसियों ने आगाह किया है कि सोमवार को कार्य-सप्ताह शुरू होने पर दुनिया भर में दो लाख से ज्यादा कंपनियों और लोगों को शिकार बनाने वाला साइबर हमला नये संकट का रूप ले सकता है. इसके हमले के शिकारों की तादाद में इजाफा हो सकता है. यह अभी तक दुनिया का सबसे बड़ा साइबर हमला है, जिसमें अपराधियों ने दुनिया के 150 से भी ज्यादा देशों में अपना कहर बरपाया है. साइबर हमले के सरगना फिरौती वसूल रहे हैं.
इसे भी पढ़ें : वैश्विक साइबर हमले के पीछे के हैकरों की तलाश शुरू
साइबर हमलों का यह सिलसिला शुक्रवार को शुरू हुआ और इसने बैंकों से ले कर अस्पताल तक और निजी कंपनियों से ले कर सरकारी एजेंसियों तक सबको धड़ाधड़ अपना निशाना बनाया. इसने माइक्रोसॉफ्ट की पुरानी ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) की कमजोरियों को फायदा उठाया. इन साइबर हमलों की जद में आने वालों में अमेरिकी कूरियर कंपनी फेडएक्स, यूरोपीय कार कंपनियां, स्पेनी दूरसंचार दिग्गज टेलीफोनिका, ब्रिटेन की स्वास्थ्यसेवा और जर्मनी का ड्योश रेल नेटवर्क प्रमुख हैं.
दफ्तर खुलते ही स्थिति बिगड़ने की जाहिर की गयी आशंका
यूरोपीय संघ की पुलिस एजेंसी ‘यूरोपोल’ के कार्यकारी निदेशक रॉब वेनराइट ने कहा है कि सप्ताहांत की छुट्टियां गुजार कर सोमवार को जब कर्मी अपने दफ्तर लौटेंगे और अपने अपने कंप्यूटरों पर लॉग-इन करेंगे, तो हालात और बिगड़ सकते हैं. वेनराइट ने ब्रिटेन के आईटीवी टेलीविजन के साथ एक साक्षात्कार में हमले के दायरे को ‘अभूतपूर्व’ करार देते हुए कहा कि हमने इस तरह की कोई चीज पहले कभी नहीं देखी थी. ‘यूरोपोल’ के कार्यकारी निदेशक ने साइबर हमलों को बढ़ता खतरा करार दिया है. उन्होंने कहा कि मैं चिंतित हूं कि कैसे जब लोग काम पर जायेंगे और अपनी मशीनें चालू करेंगे, तो संख्या किस तरह बढ़ेगी.
ब्रिटेन से जारी किया गया है एलर्ट
ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्यूरिटी सेंटर ने वेनराइट के इन अंदेशों की हिमायत की और कहा कि एक नया कार्य-सप्ताह शुरू हो रहा है. आशंका है कि ब्रिटेन में और दूसरी जगहों पर रैनसमवेयर के और मामले प्रकाश में आयें और शायद बड़े पैमाने पर आएं. वहीं, सूत्रों ने बताया है कि इन साइबर हमलों के मद्देनजर ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी रेनो की उत्तर फ्रांस के दोउआइ में स्थित फैक्टरी सोमवार को नहीं खुलेगी.
फिरौती में की जाती है बिटक्वाइन की मांग
साइबर हमलों के पीड़ितों के कंप्यूटर स्क्रीन पर तस्वीरें आ जाती हैं, जिनमें संदेश होता है, ‘उफ्फ, आपकी फाइलें ‘इनक्रिप्ट’ कर दी गयी हैं.’ पीड़ितों से आभासी दुनिया की मुद्रा ‘बिटक्वाइन’ में 300 डॉलर की फिरौती मांगी जाती है. स्क्रीन संदेशों में कहा जाता है कि पीड़ित यह रकम तीन दिन के अंदर चुका दे वरना फिरौती की रकम दुगुनी कर दी जायेगी. फिरौती नहीं देने पर लॉक की गयी फाइलें ‘डिलीट’ कर दी जायेंगी.
लेन-देन में आभासी मुद्रा का दुनिया भर में होता है सबसे अधिक इस्तेमाल
उल्लेखनीय है कि बिटक्वाइन दुनिया की सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली आभासी मुद्रा है. इसका लेन-देन बेनाम तरीके से अत्याधिक इनक्रिप्टेड कोड से किया जा सकता है और किसी को इसकी भनक भी नहीं लगती. विशेषज्ञों और सरकारों दोनों ने ही पीड़ितों से कहा है कि वे फिरौती की अपराधियों की मांग नहीं मानें. वेनराइट के अनुसार, अभी तक बहुत कम पीड़ितों ने फिरौती दी है.
रैनसमवेयर ने किया है कि बिटक्वाइन के पतों का उपयोग
सुरक्षा कंपनी डिजिटल शैडोज ने कल कहा था कि रैनसमवेयर ने जिन बिटक्वाइन पतों का इस्तेमाल किया है, उनके मार्फत बस 32 हजार डॉलर या साढे 20 लाख रुपये का लेन-देन हुआ है. मास्को स्थित कंप्यूटर सुरक्षा कंपनी कासपर्स्की लैब का कहना है कि अपराधियों ने जिन डिजिटल कोड का उपयोग किया है, माना जाता है कि उसे अमेरिका की नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी ने विकसित किया था. इसे बाद में डाक्यूमेंट डंप के रूप में लीक कर दिया गया था.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.