रासायनिक हमलों से बचने के लिए भारत अमेरिका से करेगा 7.5 करोड़ के कपड़ों की खरीद
वाशिंगटन : अमेरिका के एक अधिकारी ने यहां कहा कि भारत रासायनिक हमले से रक्षा करने वाले 7.5 करोड डॉलर मूल्य के कपड़ों की खरीद करेगा. उन्होंने कहा कि भारत की ओर से खरीदे जाने वाले ये रक्षात्मक कपड़े दोनों देशों के आपसी संबंधों की मजबूती को दर्शाता है. ये कपड़े जैविक, रासायनिक एवं परमाणु […]
वाशिंगटन : अमेरिका के एक अधिकारी ने यहां कहा कि भारत रासायनिक हमले से रक्षा करने वाले 7.5 करोड डॉलर मूल्य के कपड़ों की खरीद करेगा. उन्होंने कहा कि भारत की ओर से खरीदे जाने वाले ये रक्षात्मक कपड़े दोनों देशों के आपसी संबंधों की मजबूती को दर्शाता है. ये कपड़े जैविक, रासायनिक एवं परमाणु युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों को रक्षा प्रदान करेंगे. अधिकारी ने कहा कि पेंटागन ने ज्वाइंट सर्विस लाइटवेट इंटीग्रेटेड सूट टेक्नोलॉजी (जेएसएलआईएसटी) की बिक्री के बारे में पहली बार कांग्रेस को सूचित किया है. ये रक्षात्मक कपड़े भारतीय सैनिकों को किसी भी तरह के रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु युद्ध के दौरान सुरक्षा प्रदान करेंगे.
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बताया जाता है कि जेएसएलआईटी कपड़ों में सूट-बूट और दस्ताने शामिल हैं. इन्हें प्रभावित क्षेत्रों में 24 घंटे तक पहनकर रखा जा सकता है. जेएसएलआईएसटी में सूट, पतलून की जोड़ी, दस्तानों की जोड़ी, बूट की जोड़ी और एनबीसी बैग की 38,034 यूनिट (प्रत्येक) हैं. इसके साथ ही 854 एप्रन, 854 वैकल्पिक एप्रन, 9,509 क्विक डोफ हूड्स और 114,102 एम-61 फिल्टर शामिल हैं. समूचे पैकेज में 38,034 एम-50 सामान्य उद्देश्य वाले मास्क भी शामिल हैं.
विदेश विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह पहला उदाहरण है, जब सीबीआरएन (रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु) सहायता उपकरण बिक्री के बारे में कांग्रेस को सूचित किया जा रहा है. इस बात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के साथ रक्षा भागीदारी विश्व में हमारे सर्वाधिक एवं सबसे तेजी से बढ़ते संबंधों में शामिल है, अधिकारी ने कहा कि 10 साल पहले दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार असल में नगण्य था. पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने भारत को 10 अरब डॉलर से अधिक की रक्षा बिक्री पर हस्ताक्षर किये हैं.
विदेश विभाग के अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि 11 मई, 2017 को हमारे द्वारा की गयी भारत सरकार को सीबीआरएन सहायता उपकरण की संभावित विदेश सैन्य बिक्री की घोषणा इस बारे में एक और सबूत है. ट्रंप प्रशासन द्वारा यह पहली बड़ी विदेश सैन्य बिक्री है और इसके द्वारा पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन द्वारा भारत को बढ़ा रक्षा भागीदार बनाये जाने को बरकरार रखा गया है.
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