आईटी क्षेत्र में छंटनी से आहत हैं नारायण मूर्ति, कहा – ऐसे तो 3-4 साल में आधे हो जायेंगे कर्मचारी
बेंगलुरु : सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कर्मचारियों की जोरदार तरीके से की जा रही छंटनी से इन्फोसिस के संस्थापक चेयरमैन एनआर नारायणमूर्ति इन दिनों आहत दिखाई दे रहे हैं. नारायण मूर्ति ने लागत में कटौती के उपाय के तौर पर कर्मचारियों को नौकरी से हटाये जाने पर दुख जताया. हालांकि, उन्होंने ई-मेल से भेजे जवाब […]
बेंगलुरु : सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कर्मचारियों की जोरदार तरीके से की जा रही छंटनी से इन्फोसिस के संस्थापक चेयरमैन एनआर नारायणमूर्ति इन दिनों आहत दिखाई दे रहे हैं. नारायण मूर्ति ने लागत में कटौती के उपाय के तौर पर कर्मचारियों को नौकरी से हटाये जाने पर दुख जताया. हालांकि, उन्होंने ई-मेल से भेजे जवाब में कहा कि यह काफी दुख पहुंचाने वाला है. हालांकि, उन्होंने इस बारे में आगे ज्यादा कुछ नहीं कहा. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा है कि आईटी क्षेत्र की कंपनियां जिस रफ्तार से कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, उससे इस क्षेत्र में आधे कर्मचारी भी नहीं रह जायेंगे.
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गौरतलब है कि सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में चुनौतीपूर्ण परिवेश के बीच इन्फोसिस ने घोषणा की है कि वह अर्धवार्षिक कार्य प्रदर्शन की समीक्षा करते हुए अपने मध्य और वरिष्ठ स्तर के सैकड़ों कर्मचारियों को ‘पिंक स्लिप’ पकड़ा सकता है. इन्फोसिस में यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है, जब उसके समकक्ष दूसरी कंपनियां विप्रो और कॉग्निजेंट भी अपनी लागत को नियंत्रित करने के लिए ऐसे ही कदम उठा रही हैं.
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अमेरिका की कंपनी कॉग्निजेंट ने अपने निदेशकों, सहायक उपाध्यक्षों और वरिष्ठ उपाध्यक्षों को 6 से 9 माह के वेतन की पेशकश करते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृति कार्यक्रम की पेशकश की है. समझा जाता है कि विप्रो ने भी अपने सालाना कार्य प्रदर्शन आकलन के हिस्से के तौर पर करीब 600 कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने को कहा है. इस बारे में ऐसी भी चर्चा है कि यह संख्या 2,000 तक पहुंच सकती है.
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कार्यकारी सर्चइंजन कंपनी हेड हंटर इंडिया के अनुसार, अगले तीन साल तक सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सालाना 1.75 लाख से दो लाख के बीच रोजगार के अवसर में कटौती की जा सकती है. नयी प्रौद्योगिकी अपनाने और उसकी तैयारी के चलते कंपनियां इस तरह के कदम उठा रही हैं.
मैंकजीं एंड कंपनी की नॉस्कॉम इंडिया लीडरशिप फोरम में सौंपी गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईटी सेवा कंपनियों में अगले तीन से चार साल के दौरान करीब आधे कर्मचारी अप्रासंगिक हो जायेंगे. सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी कंपनियां देश में सबसे बड़ी रोजगार प्रदाता रही हैं. बहरहाल, कंपनियों ने चेतावनी दी है कि विभिन्न प्रक्रियाओं में आटोमेशन बढ़ने से आने वाले वर्षों में रोजगार में कमी आ सकती है.
एक तरफ जहां ठेके पर काम कराने यानी ऑटोसोर्सिंग नमूने से भारत वैश्विक नक्शे पर उभरा है, वहीं दूसरी तरफ दुनिया के विभिन्न देशों में बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति से भी 140 अरब डॉलर के भारत के आईटी उद्योग के समक्ष चुनौती खड़ी हो रही है.
भारतीय कंपनियां अब विदेशों में काम के लिए कार्य वीजा पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं और इसके बदले विदेशों में स्थानीय लोगों को ही काम पर रख रहीं हैं, ताकि उनके ग्राहक बने रहे. हालांकि, इससे उनके मार्जिन पर असर पड सकता है.
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