GST की पाठशाला में ऐसे समझें टैक्स का गणित : वैट, सेल्स टैक्स और स्टेट टैक्स के नाम पर वसूली करना नहीं होगा आसान
नयी दिल्ली : देश के उपभोक्ताओं से वैट, सेल्स टैक्स, स्टेट टैक्स और एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) के नाम पर मनमानी करते हुए अधिक पैसा वसूलना और फिर टैक्स की चोरी करना आसान नहीं होगा. इसका प्रमुख कारण यह है कि आगामी एक जुलाई से पूरे देश में जीएसटी के लागू हो जाने के बाद […]
नयी दिल्ली : देश के उपभोक्ताओं से वैट, सेल्स टैक्स, स्टेट टैक्स और एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) के नाम पर मनमानी करते हुए अधिक पैसा वसूलना और फिर टैक्स की चोरी करना आसान नहीं होगा. इसका प्रमुख कारण यह है कि आगामी एक जुलाई से पूरे देश में जीएसटी के लागू हो जाने के बाद वैट, सेल्स टैक्स, स्टेट टैक्स और सेंट्रल सेल्स टैक्स का तो इसमें मर्जर हो ही जायेगा, अब अधिकतम खुदरा मूल्य का लेबल दिखाकर भी दुकानदार उपभोक्ताओं से अधिक पैसे की वसूली नहीं कर सकेंगे. एक तरफ जीएसटी खुदरा और थोक कारोबार में पारदर्शिता लाने में अहम भूमिका निभायेगा, वहीं पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित रैपिड (रेवेन्यू, एकाउंटिबिलिटी, प्रोबिटी, इंफॉर्मेशन एंड डिजिटाइजेशन) इस पर नजर रखेगा.
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दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल के जून महीने में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारियों से बात कर रहे थे, तब उन्होंने उन अधिकारियों को कहा था कि राजकोष को मजबूत करने की खातिर राजस्व जमा करते समय वे रैपिड के नियमों का अनुपालन करें.
टैक्स चुराने वालों की नहीं होगी खैर
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल के जून महीने में ही इस बात के संकेत दे दिये थे कि यह कानून उन सभी पर लागू होगा, जो टैक्स की चोरी करते हैं. वहीं, जो लोग सही समय पर सही तरीके से टैक्स का भुगतान करते हैं या टैक्स का भुगतान करने की इच्छा रखते हैं, वे गर्व के साथ अपने इस राष्ट्रीय दायित्व को पूरा करने में सक्षम होंगे और उन्हें किसी प्रकार का भय न होगा.
जीएसटी से पहले सरकार ने आंतरिक अंतरण मूल्य वर्धन के दायरे को किया सीमित
वहीं, सरकार की ओर से यह भी बताया जा रहा है कि वित्तमंत्रालय की ओर से करदाताओं के जीवन को आसान बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है, ताकि अनुपालन का बोझ कम किया जा सके. मिसाल के तौर पर पिछले बजट में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आंतरिक अंतरण मूल्य वर्धन के दायरे को सीमित करने की घोषणा की थी. इसे कर वंचना की रोकथाम के उपाय के तौर पर वित्त अधिनियम, 2012 में शामिल किया गया था.
पीएम मोदी ले रहे जीएसटी की प्रगति का जायजा
सबसे विशाल और सबसे प्रभावशाली टैक्स सुधार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के रूप में इस वर्ष जुलाई या कम से कम सितंबर तक लागू हो जायेगा. हालांकि, जीएसटी को लागू करने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही इसकी प्रगति का जायजा ले रहे हैं और इस बात पर नजर रखे हैं कि केंद्र, राज्य और व्यापारी प्रतिष्ठान इसे लागू करें. इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली से व्यापार और उपभोक्ताओं को वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए टैक्स का भुगतान करने के लिए नयी दिशा मिलेगी.
अब तक निर्माण की लागत पर तय होती रही हैं कीमतें और टैक्स की दरें
यह जान लेना भी बहुत जरूरी है कि अब तक देश में चीजों के दाम उनके निर्माण पर आने वाली लागत पर आधारित तय होती थी और तब इसके बाद उन पर कर प्रणाली लागू की जाती थी, लेकिन अब जबकि जीएसटी के तहत गंतव्य या उपभोक्ता आधारित लेवी प्रक्रिया होगी. इसमें कई टैक्सों को शामिल किया जायेगा और भुगतान आदि की निर्बाध प्रणाली चलेगी. नतीजतन, उपभोक्ताओं को अब अनेक प्रकार का टैक्स देने के बजाय एक ही टैक्स देना होगा. इसके पहले उन्हें सीमा शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, मूल्य वर्धित टैक्स या बिक्री कर या सेवा कर या चुंगी आदि देनी पड़ती थी.
जीडीपी वृद्धि में दो फीसदी इजाफे की संभावना
विभिन्न आकलन बताते हैं कि जीएसटी से देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कम से कम एक से दो प्रतिशत बढ़ेगा क्योंकि कई कारोबार और व्यापार जो पहले टैक्स के दायरे से बाहर थे, उन्हें अब नयी टैक्स प्रणाली को अपनाना होगा. इसमें उनका अपना हित होगा और उनकी संचालन कुशलता बढ़ेगी. कीमतों पर जीएसटी के प्रभाव के विषय में जो चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं, वे निर्मूल हैं. इस निर्मूल धारणा के विपरीत मध्यम और दीर्घकाल के दौरान कीमतें कम होंगी और कारोबारी क्षेत्र के लिए ऋण उपलब्ध होगा. इसके अलावा, सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने में राज्यों की सीमाओं पर जो विलंब होता था, वह भी खत्म हो जायेगा और उपभोक्ताओं को कम कीमत पर सामान मिलेगा.
कर्मचारियों और अधिकारियों को दी जा रही ट्रेनिंग
कारोबारी और औद्योगिक क्षेत्र सीबीडीटी, सीबीईसी सहित राज्य सरकारों के साथ जीएसटी को लागू करने के लिए तैयारी कर रहा है. इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और कारोबारी हलकों के साथ बातचीत चल रही है. शुरुआती चरणों में व्यापारिक संस्थानों की तरफ से यह मांग की जा रही है कि अगर जीएसटी आधारित प्रणाली को अपनाने में कोई गैर-इरादतन तौर पर कमी रह जाये, तो उसके लिए छूट दी जाये. संभावना यह भी है कि इस समस्या को जीएसटी परिषद देख रही है, क्योंकि इस तर्क में दम है.
जीएसटी पर रेटिंग एजेंसियों की भी बनी है नजर
जीएसटी के कार्यान्वयन पर विश्व रेटिंग एजेंसियां और बहुस्तरीय संगठन की भी नजर बनी हुई है. इसका आसान कार्यान्वयन व्यापार करने की आसानी संबंधी विश्व बैंक सूचकांक के संबंध में निश्चित रूप से भारत को आगे ले जायेगा। आंतरिक और विश्व स्रोतों के लिए निवेश के संबंध में प्रावधान एक प्रमुख पैमाना होता है. अब भारत सही दिशा में चल पड़ा है.
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