मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक धोखाधड़ी के जरिये अवैध रूप से होनेवाले इलेक्ट्रानिक बैंकिंग लेन-देन में ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए जल्द ही अंतिम दिशा निर्देश जारी करेगा. इन नियमों में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेन-देन के मामले में ग्राहकों की देनदारी को सीमित रखने का प्रावधान किया जा सकता है.
केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदडा ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी. केंद्रीय बैंक ने पिछले साल अगस्त में इस बारे में नियमों के मसौदे को सार्वजनिक किया था और उस पर सुझाव एवं टिप्पणियां आमंत्रित की गयी थीं। इसमें धोखाधड़ी के जरिये अवैध रूप से किये गये बैंकिंग लेन-देन के मामलों में ग्राहकों की देनदारी को सीमित किया गया है.
मूंदडा ने कहा, ‘‘इस मामले में जो भी सुझाव एवं टिप्पणियां प्राप्त हुई है, उनके आधार पर अंतिम दिशा निर्देश जल्द ही जारी होने की संभावना है.’ उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में बैंकिंग सेवाआें के मामले में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल लगातार बढ़ा है. लेकिन, इसके साथ ही सुरक्षा से जुड़े जोखिम भी सामने आये हैं. ये जोखिम कई चर्चित साइबर धोखाधड़ी हमलों, व्यक्तिगत सूचनाओं की चोरी व एटीएम धोखाधड़ी और इंटरनेट बैंकिंग घपलों के रूप में ये जोखिम सामने आये हैं.
मूंदडा ने कहा कि इसके अंतिम दिशा-निर्देशों में धोखाधड़ी वाले लेन-देन की जानकारी देने की समयसीमा, अवैध रूप से लेन-देन के मामले में ग्राहक द्वारा वहन की जानेवाली देनदारी और इस तरह की घटनाओं में बैंकों की जवाबदेही के बारे में स्पष्ट तौर पर जिक्र होगा. उन्होंने बैंकों से भी कहा कि वह अंतिम दिशा-निर्देश आने से पहले वह अपने सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बना लें.
उन्होंने बैंकों से अपने कॉल सेंटर सेवाओं को बेहतर बनाने और स्वत: जवाब देनेवाली प्रणाली में सुधार कर लें, ताकि ग्राहकों को उनका इस्तेमाल करते हुए कम से कम परेशानी हो.
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