इन दिनों भारत की जनता आटे की कीमत से थोड़ी परेशान नजर आ रही है. हालांकि इसकी कीमत पर केंद्र की मोदी सरकार की पैनी नजर बनी हुई है. भारत में गेहूं और आटे की खुदरा कीमत में बढ़ोतरी हो रही है और ये 38 से 40 रुपये प्रति किलो लोगों को खरीदना पड़ रहा है. इस संबंध में पिछले दिनों खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा का इस बाबत बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि गेहूं और आटे की खुदरा दाम बढ़े हैं और सरकार जल्द ही बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगी. सरकार नियमित रूप से गेहूं और आटे की कीमत पर पैनी नजर बनाये हुए है.
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि कीमतों को कम करने के लिए ‘‘सभी विकल्पों का पता लगाया जा रहा है.’’ उन्होंने पत्रकारों से इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि हम देख रहे हैं कि गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी है. हम इस मुद्दे से अवगत हैं. सरकार द्वारा विभिन्न विकल्पों का पता लगाया जा रहा है और बहुत जल्द हम अपनी प्रतिक्रिया देंगे. उनसे पूछा गया था कि आटे की बढ़ती कीमतें जो 38 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गयी हैं उनको नियंत्रित करने के लिए खाद्य मंत्रालय द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि हम कीमतों पर कड़ी नजर रख रहे हैं. मंत्रालय जल्द ही कुछ कदम उठाएगा.
हालांकि, चोपड़ा ने मंत्रालय द्वारा किये जा रहे उपायों को स्पष्ट नहीं किया. सचिव ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टॉक है. घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में कमी के बाद कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार खुले बाजार में गेहूं बेचेगी, उन्होंने कहा कि सभी विकल्प तलाशे जा रहे हैं.
सूत्रों ने पिछले महीने कहा था कि सरकार बढ़ती खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत आटा मिलों जैसे थोक उपभोक्ताओं के लिए एफसीआई के स्टॉक से अगले साल 15-20 लाख टन गेहूं जारी करने पर विचार कर रही है. ओएमएसएस नीति के तहत, सरकार समय-समय पर थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने के लिए सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अनुमति देती है. इसका उद्देश्य मंदी के मौसम के दौरान आपूर्ति को बढ़ावा देना और सामान्य खुले बाजार की कीमतों को कम करना है.
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यहां तक कि आटा मिल मालिकों ने खुले बाजार में हुई कमी को पूरा करने के लिए सरकार से एफसीआई गोदामों से गेहूं के स्टॉक को निकाले जाने की मांग की है. भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह गया। इस साल खरीद भी भारी गिरावट के साथ 1.9 करोड़ टन रह गयी. चालू रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) सत्र में गेहूं की फसल का रकबा अधिक है। नई गेहूं फसल की खरीद अप्रैल, 2023 से शुरू होगी.
भाषा इनपुट के साथ
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