अदाणी ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर धराशायी, अदाणी एनर्जी में सबसे बड़ी गिरावट

Hindenburg Report Impact: बीएसई सेंसेक्स में सूचीबद्ध अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस के में 17 फीसदी गिरावट आई है. इसके बाद अदाणी टोटल गैस में 13.39 फीसदी, एनडीटीवी में 11 फीसदी और अदाणी पावर में 10.94 फीसदी की गिरावट आई.

By KumarVishwat Sen | August 12, 2024 12:43 PM

Hindenburg Report Impact: अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की दूसरी रिपोर्ट आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों पर गहरा प्रभाव पड़ा है. सोमवार 12 अगस्त को कारोबार में ही अदाणी ग्रुप के सभी कंपनियों के शेयर धराशायी हो गए. हालांकि, शेयर बाजार शुरुआती कारोबार में टूटने के बाद कुछ संभला है. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी एनर्जी का शेयर सबसे अधिक करीब 17 फीसदी तक टूट गया. हिंडनबर्ग ने शनिवार 10 अगस्त 2024 को अपनी दूसरी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बाजार विनियामक सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति पर आरोप लगाए गए हैं.

सेंसेक्स में अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर टूटे

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बीएसई सेंसेक्स में सूचीबद्ध अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस के में 17 फीसदी गिरावट आई है. इसके बाद अदाणी टोटल गैस में 13.39 फीसदी, एनडीटीवी में 11 फीसदी और अदाणी पावर में 10.94 फीसदी की गिरावट आई. इसके अलावा, अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में 6.96 फीसदी, अदाणी विल्मर में 6.49 फीसदी, अदाणी एंटरप्राइजेज में 5.43 फीसदी, अदाणी पोर्ट्स में 4.95 फीसदी, अंबुजा सीमेंट्स में 2.53 फीसदी और एसीसी में 2.42 फीसदी की गिरावट आई.

हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर लगाया आरोप

अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने शनिवार की देर रात जारी अपनी दूसरी रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी फंडों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही कोष हैं, जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था. विनोद अदाणी अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं.

इसे भी पढ़ें: इधर बैंक में चेक डाला, उधर झट से क्लियर

2015 में बुच दंपति ने विदेशी फंडों में किया था निवेश

आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति तथा मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले था. ये निवेश सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से किए गए थे. सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष निष्क्रिय हो गए.

इसे भी पढ़ें: Hindenburg की दूसरी रिपोर्ट से मचा कोहराम! सदमे में बाजार, जानें अब तक की कहानी

Next Article

Exit mobile version