अदाणी पावर को एक और झटका, 7017 करोड़ रुपये में डीबी पावर की परिसंपत्ति खरीदने से खींचा कदम
अदाणी पावर ने बुधवार को शेयर बाजार को बताया, 'हम सूचित करना चाहते हैं कि 18 अगस्त 2022 को हुए सहमति पत्र के तहत अंतिम तारीख बीत गई है. अदाणी पावर ने इससे पहले अगस्त 2022 में बताया था कि उसने डीबी पावर लिमिटेड के अधिग्रहण के लिए समझौता किया है.
नई दिल्ली : अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है. खबर है कि बीती 24 जनवरी के बाद से लेकर पिछले हफ्ते तक अदाणी ग्रुप को करीब 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. इस बीच, खबर है कि अदाणी पावर लिमिटेड करीब 7,017 करोड़ रुपये में डीबी पावर की ताप बिजली परिसंपत्तियों को खरीदने का सौदा पूरा करने में फेल रही है.
छत्तीसगढ़ में स्थित है ताप बिजली संयंत्र
अदाणी पावर ने बुधवार को शेयर बाजार को बताया, ‘हम सूचित करना चाहते हैं कि 18 अगस्त 2022 को हुए सहमति पत्र के तहत अंतिम तारीख बीत गई है. अदाणी पावर ने इससे पहले अगस्त 2022 में बताया था कि उसने डीबी पावर लिमिटेड के अधिग्रहण के लिए समझौता किया है. कंपनी के पास छत्तीसगढ़ में 1200 मेगावाट क्षमता का एक ताप बिजली संयंत्र है. सौदे की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे गए सवालों का खबर लिखे जाने तक अदाणी पावर ने कोई जवाब नहीं दिया था.
31 अक्टूबर को समझौते पर हुआ था हस्ताक्षर
गौरतलब है कि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया और संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग की. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में तेज गिरावट हुई. डीबी पावर के अधिग्रहण के लिए शुरुआती एमओयू 31 अक्टूबर 2022 में हुआ था. इसके बाद सौदा पूरा करने की अंतिम तारीख को चार बार बढ़ाया जा चुका है.
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बही-खाता अच्छी स्थिति में : अदाणी ग्रुप
उधर, अदाणी ग्रुप ने अपनी कंपनियों के शेयरों में जारी उठापटक के बीच बुधवार को निवेशकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उसका बही-खाता ‘बहुत अच्छी’ स्थिति में है और उसकी नजर कारोबार वृद्धि की रफ्तार कायम रखने पर टिकी हुई है. अमेरिकी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयरों के दाम गलत तरीके से बढ़ाने का आरोप लगाए जाने के बाद से समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. इससे निवेशकों के हितों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.
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