तालिबान को तोड़ने की क्या है अमेरिका की रणनीति ?
अफगानिस्तान में कब्जे के साथ ही तालिबान पर पाबंदियां शुरू हो गयी है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( आईएमएफ ) ने इस पूरे मामले पर स्पष्ट किया है, तालिबान के कब्जे वाला अफगानिस्तान अब आईएमएफ के संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाएगा और न ही उसे किसी तरह की मदद पहुंचायी जायेगी.
बंदूक और हिंसा के दम पर तालिबान ने अफगानिस्तान पर भले ही कब्जा कर लिया हो लेकिन आर्थिक तौर पर तालिबान के कमर तोड़ने की तैयारी शुरू हो गयी है. अमेरिका ने पहले ही 706 अरब रुपये की संपत्ति फ्रीज कर दी है. आईएमएफ ( अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने अफगानिस्तान में मौजूद संसाधनों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
अफगानिस्तान में कब्जे के साथ ही तालिबान पर पाबंदियां शुरू हो गयी है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( आईएमएफ ) ने इस पूरे मामले पर स्पष्ट किया है, तालिबान के कब्जे वाला अफगानिस्तान अब आईएमएफ के संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाएगा और न ही उसे किसी तरह की मदद पहुंचायी जायेगी.
तालिबान के नियंत्रण के बाद अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर चिंता खड़ी हो गयी है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 460 मिलियन अमरीकी डॉलर यानी 46 करोड़ डॉलर (3416.43 करोड़ रुपये) के आपातकालीन रिजर्व तक अफगानिस्तान की पहुंच को ब्लॉक कर दिया है. यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
अमेरिकी अखबारों में छपी रिपोर्ट के अनुसार यह फैसला अमेरिकी सरकार के दबाव के बाद लिया गया है. यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने इस तरह का फैसला लिया और अफगानिस्तान में तालिबान की आर्थिक मदद पर रोक लगायी है.
इससे पहले भी सेंट्रल बैंक की करीब 9.5 अरब डॉलर यानी 706 अरब रुपये से ज्यादा की संपत्ति फ्रीज कर दी गयी. अमेरिका ने अफगानिस्तान में कैश की सप्लाई पर भी रोक लगा दी है. तालिबान के लिए किसी भी तरह की आर्थिक मदद मौजूद ना हो इसके लिए पूरी कोशिश की जा रही है.
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