नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो दर (Rapo Rate) में एक बार फिर वृद्धि किये जाने के बाद बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों ने भी फौरन अपने वाहन, आवास एवं व्यक्तिगत ऋणों पर देय ब्याज दरों को बढ़ा दिया है. इसस ये सारे कर्ज महंगे हो गए हैं.
आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और देश के प्रमुख आवासीय ऋणदाता एचडीएफसी लिमिटेड सहित कई बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों ने अपने ग्राहकों के लिए ऋण दरों में वृद्धि करने की घोषणा पिछले दो दिनों में की है.
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रेपो दर पर आरबीआई बैंकों को उनकी अल्पकालिक उधारी जरूरतों के लिए कर्ज देता है. इस तरह रेपो दर में बढ़ोतरी करने से बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला वित्त महंगा हो जाता है और फिर वे अपनी तरफ से खुदरा ग्राहकों को दिए जाने वाले कर्जों पर लगने वाली ब्याज दरें भी बढ़ा देते हैं.
आरबीआई ने 8 जून 2022 को अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी. इसके पहले 4 मई 2022 को भी आरबीआई ने बिना किसी पूर्व-निर्धारित योजना के अचानक ही रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी.
इस तरह बहुत कम समय में ही रेपो दर में कुल 0.90 प्रतिशत वृद्धि की जा चुकी है. अब रेपो दर 4.90 प्रतिशत हो चुकी है. मुद्रास्फीति दबावों से निपटने के लिए आरबीआई ने रेपो दर में वृद्धि का फैसला किया है. इसके फौरन बाद निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक ने रेपो से जुड़ी बाह्य मानक उधारी दर (ईबीएलआर) को 8.10 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.60 प्रतिशत कर दिया.
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सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक ने भी रेपो-संबद्ध उधारी दर (आरएलएलआर) को पहले के 6.90 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.40 प्रतिशत कर दिया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी आरएलएलआर को बढ़ाकर 7.40 प्रतिशत कर दिया है. निजी क्षेत्र के एचडीएफसी लिमिटेड ने आवास ऋण के लिए अपनी खुदरा प्रधान उधारी दर (आरपीएलआर) में भी 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है.
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने मौद्रिक नीति की घोषणा से कुछ दिन पहले ही अपने ईबीएलआर को संशोधित किया था. इंडियन बैंक ने आरएलएलआर बढ़ाकर 7.70 फीसदी और बैंक ऑफ इंडिया ने 7.75 फीसदी कर दिया है.
चेन्नई स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक ने भी आरएलएलआर को बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत कर दिया है. पुणे स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने भी तत्काल प्रभाव से आरएलएलआर को 7.20 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.70 प्रतिशत कर दिया है. कैनरा बैंक ने 7 जून से ही एक वर्षीय एमसीएलआर 7.35 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.40 प्रतिशत कर दिया था.
अधिकतर उपभोक्ता ऋण एक वर्षीय एमसीएलआर दर से जुड़े होते हैं. एमसीएलआर प्रणाली एक अप्रैल 2016 से लागू हुई थी. एक अक्टूबर 2019 से सभी बैंकों को आरबीआई की रेपो दर या ट्रेजरी बिल प्रतिफल जैसे बाहरी मानक से जुड़ी ब्याज दर पर ही उधार देना होगा. इसकी वजह से बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति को अपनाने की रफ्तार तेजी से बढ़ी है.
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