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AGR मामला : सरकार ने दिया Airtel और Vodafone को राहत, पैसे चुकाने के लिए मिली 20 साल की मोहलत

AGR बकाया को लेकर प्राइवेट कंपनियों और दूरसंचार विभाग के बीच समझौता हो गया है. समझौते के तहत DoT अपना बकाया 1.47 लाख करोड़ रुपये को 20 साल के अंदर विभाग को चुकायेगी. DoT ने इसको अमल में लाने के लिये Supreme Court से इजाजत मांगी है, जिसपर आज जस्टिस अरूण मिश्रा की बैंच सुनवाई करेगी

By AvinishKumar Mishra | March 17, 2020 12:20 PM

नयी दिल्ली : एजीआर बकाया को लेकर प्राइवेट कंपनियों और दूरसंचार विभाग के बीच समझौता हो गया है. समझौते के तहत दूरसंचार कंपनी अपना बकाया 1.47 लाख करोड़ रुपये को 20 साल के अंदर विभाग को चुकायेगी. दूरसंचार विभाग ने इसको अमल में लाने के लिये सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी है, जिसपर आज जस्टिस अरूण मिश्रा की बैंच सुनवाई करेगी.

17 मार्च तक जमा करने की थी मियाद– वोडाफोन अब तक 2500 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है. वोडाफोन आइडिया पर 53000 करोड़ का एजीआर बकाया है. एयरटेल की तरफ से जब पहली किस्त का भुगतान किया गया था, तब कंपनी ने कहा था कि वह भी सेल्फ असेसमेंट के बाद 17 मार्च से पहले सारा भुगतान कर देगी.

कांग्रेस ने दिया लोकसभा में नोटिस– एजीआर बकाया भुगतान को लेकर कांग्रेस ने लोकसभा में नोटिस दिया है. कांग्रेस सांसद के सुरेश ने लोकसभा में स्थगन नोटिस देते हुए कहा कि यह विषय गंभीर है और इसपर चर्चा करायी जाये.

सीएजी की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा– नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने अपनी एक रिपोर्ट में दूरसंचार कंपनियों पर 61,065.5 करोड़ रुपये की बकाया राशि बताई थी. जिसके बाद दूरसंचार विभाग द्वारा दायर याचिका में विभाग ने कुल बकाया शुल्क बर ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज की मांग की. इसका टेलीकॉम कंपनियों ने विरोध किया. अदालत ने केंद्र सरकार को कंपनियों से एजीआर की वसूली की अनुमति दे दी थी.

एजीआर रकम क्या है– दूरसंचार कंपनियों को नियम के मुताबिक एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और 8 प्रतिशत लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है. दूरसंचार ट्रिब्यूनल 2015 के मुताबिक किराया, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्त्रोत से हासिल राजस्व को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी.

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