16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

‘टिड्डियों को कंट्रोल करने के लिए नेचुरल तरीकों को छोड़ केवल केमिकल स्प्रे का किया जा रहा इस्तेमाल’

देश में तीन दशक के रेगिस्तानी टिड्डी दल के सबसे बड़े प्रकोप के बीच एक कृषि विशेषज्ञ का मानना है कि इन्हें नियंत्रित करने के लिए केवल केमिकल स्प्रे का ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इनकी रोकथाम के अन्य प्राकृतिक तरीकों की अनदेखी की जा रही है. टिड्डियों ने देश के पांच राज्य (राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र) को प्रभावित किया है.

नयी दिल्ली : देश में तीन दशक के रेगिस्तानी टिड्डी दल के सबसे बड़े प्रकोप के बीच एक कृषि विशेषज्ञ का मानना है कि इन्हें नियंत्रित करने के लिए केवल केमिकल स्प्रे का ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इनकी रोकथाम के अन्य प्राकृतिक तरीकों की अनदेखी की जा रही है. टिड्डियों ने देश के पांच राज्य (राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र) को प्रभावित किया है. उधर, केंद्र सरकार ने इन पांच राज्यों की सीमाओं से लगने वाले राज्यों के लिए चेतावनी जारी की है. केंद्र की योजना ड्रोन और हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर हवाई स्प्रे को बढ़ाने की है.

Also Read: पाकिस्तानी टिड्डियों से भारत में किसानों को नुकसान, मगर इन कंपनियों को भरपूर फायदा

हरियाणा स्थित कुदरती खेती अभियान के सलाहकार राजिंदर चौधरी ने एक बयान में कहा कि कीटनाशकों के हवाई छिड़काव के दुष्प्रभावों की जानकारी होने के बावजूद सरकार की टिड्डी नियंत्रण नीति केवल केमिकल स्प्रे पर केंद्रित है और अन्य गैर-रासायनिक उपायों की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है. उन्होंने इस संबंध में कृषि मंत्रालय में एक ज्ञापन दिया गया है.

उन्होंने कहा कि बगैर किसी दुष्प्रभावों के टिड्डियों को नियंत्रित करने के संदर्भ में भारत और विदेश के विशेषज्ञों द्वारा कई प्रभावी गैर-रासायनिक उपचार सुझाए गए हैं, जिसमें तेलंगाना के एक पद्मश्री पुरस्कार विजेता और जैविक खेती करने वाले किसान चिंताला वेंकट रेड्डी भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि चिंताला ने जैविक और गैर-रासायनिक तरीकों के माध्यम से टिड्ढियों पर नियंत्रण के लिए सरकार को सुरक्षित और प्रभावी उपाय बताए हैं.

चौधरी ने कहा कि अगर रासायनिक तरीकों को एक साथ पूरा छोड़ा नहीं जा सकता है, तो कम से कम आबादी वाले क्षेत्रों में और जल भराव वाले क्षेत्रों के करीब सरकार को रासायनिक उपायों को अपनाने की बजाय सुरक्षित गैर-रासायनिक उपायों को अपनाना चाहिए. गैर-रासायनिक उपायों में से कुछ के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि टिड्डे जो रात के दौरान यात्रा या भोजन नहीं करते हैं, उन्हें पकड़कर एकत्रित किया जा सकता है और उन्हें पॉल्ट्री फीड के रूप में उपयोग किया जा सकता है. इस पद्धति की आर्थिक और भौतिक व्यवहार्यता स्थापित हो चुकी है.

उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति एक रात में 10 क्विंटल टिड्डे को पकड़ सकता है और मुर्गी और बत्तख के चारे के रूप में उपयोग कर सकता है, जिससे टिड्डियों को यंत्रित करने में मदद मिलेगी. चौबीस घंटों के भीतर टिड्डियों को नियंत्रित करने का एक अन्य तरीका अलसी के तेल, खाने वाला सोडा, सोडियम बाइकार्बोनेट और लहसुन का निचोड़, जीरा और नारंगी के अर्क का छिड़काव करना है. इस मिश्रण का फसलों पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है.

उन्होंने कहा कि टिड्डियों के चक्र को समझते हुए इसका समय पर उपयोग किया जा सकता है और उपलब्ध परजीवी कवक का उपयोग किया जा सकता है, जो टिड्डों को मार सकता है. इसके अलावा, टिड्डियों को फसलों पर किसी ऐसी चीज का छिड़काव करके भी नियंत्रित किया जा सकता है्र जो वनस्पति पदार्थ को अखाद्य बनाता हो.

चिंताला ने कहा कि पृथ्वी से चार फीट नीचे से 30-40 किलोग्राम मिट्टी लेकर इसे 200 लीटर पानी में अच्छी तरह से घोलकर 10-20 मिनट के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए. पानी को तब छानकर फसलों पर छिड़का जाना चाहिए. यह सभी वनस्पतियों को टिड्डियों के लिए अखाद्य बना देगा. यह रेतीला-पानी एक सामान्य स्प्रे पंप के साथ छिड़का जा सकता है.

उन्होंने कहा कि टिड्डी का खतरा खत्म होने के बाद सादे पानी के साथ फसल पर छिड़काव करने से पत्तियों से रेत की परत हट जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि शोर मचाना, टिड्डियों के झुंड के रास्ते पर 50 फुट ऊंचा जाल लगाना या झुंडो के बीच से विमान उड़ाने जैसे उपायों के लिए बड़ा नुकसान बचाया जा सकता है.

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें