भारत के कृषि निर्यात को क्यों करना पड़ सकता है विपरीत परिस्थितियों का सामना? पढ़ें पूरी रिपोर्ट
India Farm Exports: भारत का कृषि निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 20 फीसदी बढ़कर 50.21 अरब डॉलर हो गया है. 31 मार्च, 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में भारत से कृषि निर्यात और आयात दोनों ने नई ऊंचाई हासिल की है.
India Farm Exports: कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत का कृषि निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 20 फीसदी बढ़कर 50.21 अरब डॉलर हो गया है. 31 मार्च, 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में भारत से कृषि निर्यात और आयात दोनों ने नई ऊंचाई हासिल की है.
चावल का निर्यात बढ़ा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से अप्रैल महीने जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान चावल का निर्यात कृषि जिंसों में 9.65 अरब डॉलर के साथ विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सबसे आगे रहा. यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 9.35 फीसदी ज्यादा है. वहीं, वर्ष 2021-22 में गेहूं का निर्यात बढ़कर 2.2 अरब डॉलर का हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 567 अरब डॉलर था. कृषि प्रोडक्ट्स के प्रमुख निर्यात डेस्टिनेशन में बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, अमेरिका, नेपाल, मलेशिया, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ईरान और मिस्र शामिल हैं.
डेयरी प्रोडक्ट्स के निर्यात में भी इजाफा
वर्ष 2020-21 में 32.3 करोड़ डॉलर के डेयरी प्रोडक्ट्स के निर्यात के मुकाबले वर्ष 2021-22 में इन प्रोडक्ट्स का निर्यात 96 फीसदी बढ़कर 63.4 करोड़ डॉलर हो गया. जबकि, गोजातीय मांस का निर्यात वर्ष 2020-21 के 3.17 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 3.30 अरब डॉलर का हो गया. कुक्कुट प्रोडक्ट्स का निर्यात वर्ष 2021-22 में बढ़कर 7.1 करोड़ डॉलर का हो गया, जो पिछले वर्ष 5.8 करोड़ डॉलर था. भेड़/बकरी के मांस का निर्यात वर्ष 2021-22 में 34 फीसदी बढ़कर 6 करोड़ डॉलर का हो गया.
कृषि निर्यात को इन वजहों से करना पड़ सकता है विपरीत परिस्थितियों का सामना?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में कृषि-निर्यात को दो वजहों से विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. पहली अंतरराष्ट्रीय कीमतें हैं. दरअसल, अप्रैल 2023 के लिए 127.2 अंकों की नवीनतम एफपीआई रीडिंग मार्च 2022 के 159.7 अंकों के शिखर और 2022-23 के 139.5 अंकों के औसत से नीचे है. वहीं, दूसरा कारण घरेलू है, विशेष रूप से 2024 के राष्ट्रीय चुनावों से पहले खाद्य मुद्रास्फीति का डर. नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया और सितंबर में सभी गैर-उबले हुए गैर-बासमती शिपमेंट पर 20 प्रतिशत शुल्क लगा दिया गया. जबकि, इस महीने की शुरुआत से ही चीनी का निर्यात भी बंद हो गया है.
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