सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगाने का आज अंतिम दिन था. सरकार ने बुधवार 15 सितंबर को यह जानकारी दी की उसे एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए कई वित्तीय बोलियां मिली हैं, जिसमें टाटा ग्रुप और स्पाइजेट का नाम भी शामिल है.
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव ने ट्विटर पर बताया कि वित्तीय बोली लगाने की प्रक्रिया अब समाप्त हो गयी है. सरकार ने अप्रैल, 2021 में कंपनियों से वित्तीय बोली सौंपने के लिए कहा था. टाटा समूह उन इकाइयों में शामिल था, जिन्होंने एयरलाइन को खरीदने के लिए दिसंबर, 2020 में प्रारंभिक रुचि पत्र (ईओआई) दिया था.
Tata Sons puts in financial bid for Air India: Company spokesperson
— Press Trust of India (@PTI_News) September 15, 2021
टाटा कंपनी के पास अभी दो एयरलाइंस एयर एशिया और विस्तारा है. विस्तारा में टाटा की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है जबकि एयर एशिया में 83.67 प्रतिशत है. अगर एयर इंडिया भी उसके नाम हो जाती है, तो टाटा ग्रुप के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी और एयरलाइंस सर्विस को विस्तार मिलेगा. वहीं स्पाइसजेट भी एयरलाइंस से जुड़ी कंपनी है, इसलिए वह भी अपने विस्तार के लिए एयर इंडिया को खरीदना चाह रही है.
एयर इंडिया काफी समय से घाटे में चल रहा है, यही वजह है कि केंद्र सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती है. पहले सरकार एयर इंडिया की अपनी 76% हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार थी, लेकिन अब 100% हिस्सेदारी बेच रही है.
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1 मार्च 2019 तक एयर इंडिया का कुल कर्ज 60,074 करोड़ रुपये था. जो कंपनी एयर इंडिया को खरीदेगी उसके नाम यह कर्ज ट्रांसफर होगा. लेकिन सरकार ने नये मालिक की सुविधा के लिए इसमें फ्लेक्सिबिलिटी क्लॉज डाला है. नये क्लॉज के अनुसार, एयर इंडिया के नये मालिक को 23,286.5 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, जबकि बाकी को एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड को हस्तांतरित किया जाएगा.
1932 में टाटा कंपनी ने एयर इंडिया की शुरुआत की थी. 1947 के बाद भारत सरकार ने इसमें 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी, लेकिन 1953 में सरकार ने एयर कारपोरेशन एक्ट पास करके एयर इंडिया को पूरी तरह से सरकारी बना लिया था.
Posted By : Rajneesh Anand
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