नई दिल्ली : देश की दिग्गज सेल्यूलर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों में शुमार एयरटेल ने अपने ग्राहकों को आगाह किया है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में डिजिटल ट्रांजेक्शन में बढ़ोतरी होने के साथ ही साइबर क्रिमिनल्स भी तेजी से सक्रिय हो गए हैं. मोबाइल यूजर्स को अपनी ठगी का शिकार बनाने के लिए साइबर क्रिमिनल्स तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. उसने अपने ग्राहकों को आगाह किया है कि इन साइबर क्रिमिनल्स से हमेशा सचेत रहने की जरूरत है. इसी के साथ कंपनी ने अपने मोबाइल यूजर्स को साइबर क्रिमिनल्स की ठगी से बचाने के लिए नया फीचर लॉन्च किया है.
हालांकि, एयरटेल ने यह भी कहा है कि अपने ग्राहकों को साइबर क्रिमिनल्स की ठगी का शिकार होने से बचाने के लिए उसकी ओर से लगातार प्रयास जारी है. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गोपाल विट्ठल ने कहा कि उनकी कंपनी अपने ग्राहकों को ठगों की चपेट में आने से बचाने के लिए कई प्रकार के सुरक्षा उपाय लेकर आ रही है. उन्होंने एयरटेल ग्राहकों को भेजे गए एक ई-मेल के जरिए साइबर क्रिमिनल्स की ओर से ठगी के तौर-तरीकों का जिक्र किया है और डिजिटल पेमेंट के मामले में ठगी करने वालों की ओर ध्यान दिलाया है.
सीईओ विट्ठल ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के बीच देश के कई हिस्सों में छोटा लॉकडाउन लगने की वजह से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में काफी तेजी आई है. बदकिस्मती से इस महामारी में साइबर ठगी भी उतनी ही तेजी से बढ़ी है. उन्होंने मोबाइल यूजर्स को की जाने वाली ठगी के तरीकों को लेकर आगाह करते हुए कहा कि एयरटेल ने एक “इंडस्ट्री फर्स्ट फीचर” शुरू किया है जो किसी ठग का शिकार बनने के भय के बिना सुरक्षित ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने में मदद करेगा.
उन्होंने एयरटेल की टेलीकॉम सर्विस का इस्तेमाल करने वाले लोगों से कहा कि ध्यान रखें कि एयरटेल फोन पर वीआईपी नंबर नहीं बेचती और हम आपसे कभी भी किसी तीसरे पक्ष की ऐप डाउनलोड करने का सुझाव नहीं देते हैं. दोनों ही मामलों में तत्काल 121 नंबर पर फोन करके पुष्टि करें. असल में, मैं यह कहूंगा कि आपको जब भी कोई शक हो, तुरंत 121 पर फोन करें.
धोखाधड़ी करने वालों से सचेत करते हुए उन्होंने कहा कि कोई ठग खुद को एयरटेल का कर्मचारी बताकर आपसे जानकारी ले सकता है और यह जानकारी अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) फॉर्म को पूरा करने के संबंध में ली जा सकती है. ठगी करने वाला व्यक्ति ग्राहक को ‘एयरटेल क्विक सपोर्ट’ एप को डाउनलोड करने के लिए कह सकता है, जबकि गूगल प्ले स्टोर पर ऐसा कोई एप है ही नहीं. जैसे ही ग्राहक इसे अपने फोन में डाउनलोड करता है, पूरा डेटा ठग के सामने आ जाता है और उससे जुड़े तमाम खातों तक उसकी पहुंच हो जाती है. विट्टल ने यूजर्स से इस प्रकार के झांसे में आने से बचने की अपील भी की है.
Posted by : Vishwat Sen
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