गिरे बाजार में तूफान मचा रहा अनिल अंबानी का यह शेयर, निवेशकों को जोरदार मुनाफा

Anil Ambani Share: रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को 2008 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में 3,750 करोड़ रुपये में 1,200 मेगावाट का थर्मल पावर प्रोजेक्ट लगाने का ठेका मिला था. विवादों और दूसरे कारणों से परियोजना में देरी हुई. इस कारण दामोदर घाटी निगम ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से हर्जाना मांगा था.

By KumarVishwat Sen | September 30, 2024 1:12 PM

Anil Ambani Share: बरसों से कर्ज के भार तले दबे देश के प्रमुख उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की लॉटरी लग गई. कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के साथ करीब 780 करोड़ रुपये के मध्यस्थता विवाद में अनिल अंबानी के पक्ष में फैसला सुनाया गया. इसके बाद, सोमवार 30 सितंबर 2024 को घरेलू शेयर बाजार में जोरदार गिरावट के बीच अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्टक्चर का शेयर तूफान मचा रहा है. दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर इसका शेयर 6.51% की जोरदार बढ़त के साथ कारोबार करता दिखाई दे रहा है.

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर में 6.51% की जोरदार बढ़त

सोमवार की सुबह करीब 9.15 बजे बीएसई सेंसेक्स 464.22 अंक की गिरावट के साथ 85,107.63 अंक पर खुला. वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी ने भी 133.85 अंक फिसलकर 26,045.10 अंक पर अपने कारोबार की शुरुआत की. दोपहर 12.47 के बाद बीएसई सेंसेक्स 954.50 अंक या 1.12 % फीसदी गिरकर 84,617.35 अंक और निफ्टी 278.80 अंक 1.06% लुढ़ककर 25,900.15 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार में इस तेज गिरावट के दौर में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 6.51% की तेजी के साथ 343.99 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार करता दिखाई दे रहा है.

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कलकत्ता हाईकोर्ट ने अनिल अंबानी के पक्ष में सुनाया फैसला

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और दामोदर घाटी निगम के बीच 780 करोड़ रुपये का विवाद था. मध्यस्थता में अनिल अंबानी के पक्ष में फैसला गया था. इसे कलकत्ता हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को 2008 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में 3,750 करोड़ रुपये में 1,200 मेगावाट का थर्मल पावर प्रोजेक्ट लगाने का ठेका मिला था. विवादों और दूसरे कारणों से परियोजना में देरी हुई. इस कारण दामोदर घाटी निगम ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से हर्जाना मांगा था. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने उसकी इस मांग को चुनौती दी थी. साल 2019 में मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के पक्ष में फैसला सुनाया था. उसने दामोदर घाटी निगम को कंपनी को 896 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया.

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