Explainer: दो धूर्त देशों की दोस्ती पर बलूच भारी? पाकिस्तान में चीन की कई परियोजनाएं खटाई में

Explainer: चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पर चीन ने साल 2006 में समझौता किया, लेकिन साल 1950 के दशक से ही पाकिस्तान पर उसकी नजर टिकी हुई है. चीन ने पाकिस्तान में आर्थिक गलियारा बनाने की योजना 1950 के दशक में ही तैयार कर लिया था.

By KumarVishwat Sen | August 30, 2024 10:16 PM

Pakistan: पाकिस्तान में दो धूर्त देशों की दोस्ती पर बलूच भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं. हाल के दिनों में बलूचिस्तान में बीएलए (BLA) के हमलों से पाकिस्तान में चीन की कई अहम परियोजनाएं खटाई में पड़ती दिखाई दे रही हैं. इसमें चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्रमुख है. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाके चुन-चुनकर चीनी अधिकारियों पर हमले कर रहे हैं. पिछले दिनों 25-26 अगस्त को बीएलए के लड़ाकों के हमले में करीब 38 से अधिक लोग मारे गए. पाकिस्तानी सेना की जवाबी कार्रवाई में भी करीब 35 लोग मारे गए. हमलावरों ने पुलिस स्टेशन, रेलवे लाइन और हाईवे पर वाहनों को निशाना भी बनाया. मार गए लोगों में चीनी अधिकारियों के साथ-साथ पंजाब के लोग भी शामिल थे.

Pakistan के बलूचिस्तान में खूनी खेल क्यों?

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में खूनी खेल के पीछे बलूचों की स्वतंत्र देश की मांग है. बलूचों का आरोप है कि 1947 में भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान पिछले 76 सालों से बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा जमाया हुआ है. मई 2024 में बलूचिस्तान की आजादी के लिए बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) के डॉ अल्लाह नजर बलूच ने ईरान, अफगानिस्तान, भारत और मध्य-पूर्व देशों से मदद की अपील की थी. डॉ अल्लाह नजर बलूच ने कहा था कि बलूचिस्तान की आजादी के मुद्दे पर समर्थन करने के लिए उन्हें आगे आना चाहिए. बीएलएफ के अलावा बीएलए समेत फ्रीलांस जिहादियों की ओर से भी पाकिस्तान के कब्जे से बलूचिस्तान को आजादी दिलाने की मांग की जा रही है. बीते 25-26 अगस्त के हमले के बाद पाकिस्तान गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने अपने एक बयान में कहा था कि प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी एक अलग आजाद देश बनाना चाहता है.

बलूचिस्तान में चीनी अधिकारियों पर हमले क्यों हो रहे?

मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो बलूचिस्तान की आजादी के समर्थक जिहादी समूह पाकिस्तानी सेना के जवान और चीनी अधिकारियों पर हमले कर रहे हैं. पाकिस्तान के साथ हुए समझौते के मुताबिक, चीन पाकिस्तान में साल 2015 से चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना पर काम शुरू कर चुका है. बलूचों का मानना है कि चीन के कंधों पर बंदूक रखकर पाकिस्तान इस आर्थिक गलियारे के जरिए बलूचिस्तान में अपने दबदबे को मजबूत करना चाहता है. बलूचों की नजर में उनकी आजादी में आर्थिक गलियारे के जरिए चीन रोड़ा अटकाता दिखाई दे रहा है. यही कारण है कि आजादी समर्थक बलूच जिहादी पाकिस्तानी सैनिकों के साथ-साथ चीनी अधिकारियों पर हमले कर रहे हैं.

Pakistan में पहले भी चीनी अफसरों पर होते रहे हैं हमले

पाकिस्तान में 25-26 अगस्त को चीनी अधिकारियों पर किया हमला कोई नया नहीं है. इससे पहले भी चीनी अधिकारियों पर हमले किए गए हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 27 मार्च 2024 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के बिशाम इलाके में चीन के इंजीनियरों पर हमला कर दिया गया था. हालांकि, उस समय किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली थी. इस हमले में चीन के 5 इंजीनियर और पाकिस्तान का एक ड्राइवर मारा गया था. इंजीनियरों पर हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने चीनी राजदूतों से मुलाकात कर दुख जताया था. वहीं, चीन की ओर से इस हमले की जांच की मांग की गई थी.

साल 2021 में Pakistan के दासू प्रोजेक्ट के इंजीनियरों पर हुआ था हमला

बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 में दासू परियोजना के इंजीनियरों पर भी हमला किया गया था. उस समय चीन और पाकिस्तान ने प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पर इस हमले का आरोप लगाया था. इस हमले में 9 चीनी नागरिक समेत कुल 13 लोग मारे गए थे. इस हमले के बाद पाकिस्तान में दो लोगों को मौत की सजा भी सुनाई गई थी. बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ हुए समझौते के तहत चीन दासू में बांध का निर्माण करा रहा है.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा क्या है?

चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानी सीपेक चीन का बहुत बड़ी वाणिज्यिक और राजनीतिक परियोजना है. इसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान से लेकर उत्तर-पश्चिम चीन के स्वायत्त प्रांत शिनजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम वक्त में वितरण करना है. इसके लिए चीन और पाकिस्तान के बीच साल 2006 में समझौता हुआ था और इस समझौते पर तत्कालीन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने हस्ताक्षर किया था. यह आर्थिक गलियारा पाकिस्तान के लिए कम और चीन की विस्तारवादी रणनीति के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है. यह आर्थिक गलियारा पाकिस्तान के ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है. इस योजना पर 46 बिलियन डॉलर खर्च किया जा रहा है. यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान से होकर गुजरेगा, जो अफगानिस्तान होते पश्चिम एशिया और मध्य-पूर्व देशों तक जाएगा. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के ग्वादर में चीन इस तरह से बंदरगाह बना रहा है, जिससे वह 19 मिलियन टन कच्चे तेल को चीन तक सीधे पहुंचा सके.

1950 के दशक में ही चीन ने बना लिया था प्लान

यह बात दीगर है कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पर चीन ने साल 2006 में समझौता किया, लेकिन साल 1950 के दशक से ही पाकिस्तान पर उसकी नजर टिकी हुई है. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो चीन ने पाकिस्तान में आर्थिक गलियारा बनाने की योजना 1950 के दशक में ही तैयार कर लिया था. पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के चलते उसकी यह मंशा पूरी नहीं हो सकी, लेकिन वह लगातार प्रयास करता रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने साल 1998 में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर निर्माण कार्य शुरू किया, जो साल 2002 में पूरा हुआ. चीन की शी जिनपिंग की सरकार ने साल 2014 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की आधिकारिक रूप से घोषणा की और इसके माध्यम से पाकिस्तान में विकास कार्य कराने के लिए चीन ने 46 बिलियन डॉलर देने का ऐलान किया.

पाकिस्तान में चीन की फंस गईं अरबों डॉलर की परियोजनाएं

बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी समेत फ्रीलांस जिहादियों के हमलों से पाकिस्तान में चीन की अरबों डॉलर की परियोजनाएं फंस गई हैं. चीन ने पाकिस्तान में करीब 62 अरब डॉलर का पूंजी निवेश किया है. इसके जरिए वह पूरे पाकिस्तान में सड़कें, बांध, तेल की पाइपलाइन और बंदरगाह का निर्माण करा रहा है. पाकिस्तान में फंसी परियोजनाओं में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा अहम है. बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट इस गलियारे का अहम हिस्सा है. इसकी शुरुआत साल 2013 में मुस्लिम लीग (नवाज) के शासनकाल में हुई थी. वन प्लस फोर कही जाने वाली इस परियोजना का पहला हिस्सा चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है. बाकी की परियोजनाओं में ग्वादर बंदरगाह, ऊर्जा और टेलीकम्युनिकेशन व्यवस्था और औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं. अब बलूचों के हमलों से चीन की ये सभी परियोजनाएं फिलहाल खटाई में पड़ती दिखाई दे रही हैं.

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