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बांग्लादेश का नया पीएम गरीबों का बैंकर, शेख हसीना का कट्टर आलोचक

Bangladesh New PM: डॉ मोहम्मद यूनुस की शेख हसीना के साथ तल्खियत तब अधिक बढ़ गई, जब साल 2008 में हसीना सरकार ने उनके खिलाफ जांच का आदेश दे दिया. इससे पहले, साल 2007 में डॉ मोहम्मद यूनुस ने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया था. उस समय बांग्लादेश में सेना सरकार चला रही थी.

Bangladesh: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट होने के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार का नया प्रधानमंत्री बनेंगे. बांग्लादेश में ‘गरीबों का बैंकर’ कहे जाने वाले मोहम्मद यूनुस पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कट्टर आलोचक भी माने जाते हैं. सरकार के खिलाफ हिंसक विद्रोह के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. भारत के पड़ोसी देश में अचानक उपजे राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अंतरिम सरकार बनाने का फैसला किया और इसकी अगुवाई की जिम्मेदारी मोहम्मद यूनुस को सौंपा गया है.

पेरिस ओलंपिक के आयोजक सलाहकार हैं मोहम्मद यूनुस

समाचार एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में 15 साल तक शासन करने के बाद शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट होने के बाद प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स लीडर मोहम्मद यूनुस को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना पसंद करते हैं. फिलहाल, मोहम्मद यूनुस पेरिस ओलंपिक के आयोजक सलाहकार भी हैं. स्टूडेंट लीडर नाहिद इस्लाम का कहना है कि मोहम्मद यूनुस के साथ उनकी बातचीत हुई है, जिसमें उन्होंने देश का नेतृत्व करने पर अपनी सहमति जाहिर की है. करीब 83 साल के मोहम्मद यूनुस पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के राजनीतिक विरोधी और कट्टर आलोचक हैं. शेख हसीना के इस्तीफे को उन्होंने अपनी टिप्पणी में ‘बांग्लादेश का दूसरा मुक्ति दिवस’ कहा था. इससे पहले उन्होंने शेख हसीना को ‘खून चूसने वाला’ कहा था.

मोहम्मद यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना

पेशे से अर्थशास्त्री डॉ मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में गरीबों का बैंकर कहा जाता है. उन्हें बांग्लादेश के गरीबों और खासकर महिलाओं की मदद करने के लिए माइक्रोक्रेडिट का सहारा लिया और साल 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की. इस बैंक के माध्यम से उन्होंने छोटे उद्यमियों को कर्ज देना शुरू किया. आम तौर पर उस समय छोटे उद्यमियों या आम आदमी को कर्ज मिलना काफी मुश्किल काम था. लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में ग्रामीण बैंक की सफलता ने दूसरे देशों में भी इस प्रकार के माइक्रोफाइनेंसिंग को जन्म दिया. उनके इस प्रयास की वजह से उन्हें साल 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया.

2008 से बढ़ी शेख हसीना के साथ तल्खियत

डॉ मोहम्मद यूनुस की शेख हसीना के साथ तल्खियत तब अधिक बढ़ गई, जब साल 2008 में हसीना सरकार ने उनके खिलाफ जांच का आदेश दे दिया. इससे पहले, साल 2007 में डॉ मोहम्मद यूनुस ने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया था. उस समय बांग्लादेश में सेना सरकार चला रही थी. हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया. जांच के दौरान शेख हसीना ने ग्रामीण बैंक के प्रमुख के तौर पर गांवों की गरीब महिलाओं से कर्ज का पैसा वसूलने के लिए बल और दूसरे साधनों के इस्तेमाल का आरोप लगाया. हालांकि, मोहम्मद यूनुस ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था.

शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस को ग्रामीण बैंक के प्रमुख पद से हटाया

इसके बाद साल 2011 में शेख हसीना की सरकार ने सरकारी रिटायरमेंट नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में मोहम्मद यूनुस को ग्रामीण बैंक के प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया. इतना ही नहीं, साल 2013 में मोहम्मद यूनुस पर नोबेल पुरस्कार और एक किताब से मिली रॉयल्टी सहित सरकार की इजाजत के बिना पैसा लेने के आरोप में मुकदमा चलाया गया. हालांकि, बाद में उन्हें अपनी दूसरी कंपनियों से जुड़े और दूसरे आरोपों का भी सामना करना पड़ा. इसमें ग्रामीण टेलीकॉम कंपनी भी शामिल है. यह बांग्लादेश की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं मुहैया कराती है. यह नॉर्वेजियन टेलीकॉम दिग्गज टेलीनॉर की सहायक कंपनी है.

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फिलहाल जमानत पर बाहर हैं मोहम्मद यूनुस

साल 2023 में ग्रामीण टेलीकॉम के कुछ पूर्व कर्मचारियों ने मोहम्मद यूनुस के खिलाफ उनके नौकरी के लाभों को हड़पने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया. उन्होंने इस बार भी इन आरोपों को मानने से इनकार किया. साल 2024 की शुरुआत में बांग्लादेश की एक स्पेशल कोर्ट ने मोहम्मद यूनुस और 13 अन्य लोगों पर 2 मिलियन डॉलर के गबन के मामले में आरोप लगाए. यूनुस ने खुद को निर्दोष बताया और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. यूनुस के समर्थकों का कहना है कि शेख हसीना के साथ उनके कड़वे संबंधों के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है.

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