कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जारी लॉकडाउन का दौर खत्म हो गया है. अब धीरे-धीरे देश को खोलने के लिए अनलॉक-1 केंद्र सरकार लेकर आयी है. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी में लाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. लेकिन इसी बीच एक ऐसी खबर आयी है जिसकी चर्चा जोरों पर हो रही हैं. दरअसल बैंक कर्ज देने के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन कोई लेने को तैयार नजर नहीं आ रहा है.
इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि बैंक कर्ज देने को तैयार हैं, लेकिन ग्राहक कर्ज लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. आज ग्राहक जोखिम उठाने और कर्ज लेने से कतरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बैंक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) क्षेत्र को तीन लाख करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना को लेकर आशान्वित है. इस योजना के जरिये सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 30,000 करोड़ रुपये डाले हैं.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए कुमार ने बैंक की जमा रिजर्व बैंक के पास रखने की आलोचनाओं पर कहा कि हमारे पास कोष है, लेकिन ऋण की मांग नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे में बैंकों के पास अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जहां तक ग्राहकों की बात है तो वे अभी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.
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इधर, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बचत बैंक खातें पर वार्षिक ब्याज दर 0.05 प्रतिशत घटाकर 2.70 प्रतिशत कर दी है. वहीं निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने बचत खाते पर ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार संशोधित ब्याज दरें 31 मई से लागू हो गई हैं. बचत बैंक खाते के लिए बैंक के दो स्लैब एक लाख रुपये तक और एक लाख रुपये से अधिक है. चालू वित्त वर्ष में एसबीआई ने दूसरी बार बचत खाते पर ब्याज दरों में कटौती की है. इससे पहले अप्रैल में बैंक ने सभी स्लैब में बचत बैंक खातें पर ब्याज दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 2.75 प्रतिशत कर दिया था.
Posted By: Amitabh Kumar
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