नरेंद्र मोदी सरकार की बढ़ेंगी मुश्किलें! फरवरी में बैंक हड़ताल का ऐलान, किसान मोर्चा के नेता भी देंगे साथ

कृषि कानूनों पर नरेंद्र मोदी सरकार को झुकने के लिए मजबूर करने वाली संयुक्त किसान मोर्चा ने अब बैंक यूनियनों के साथ मिलकर मोदी सरकार को कई मुद्दे पर घेरने की रणनीति बनायी है. बैंक हड़ताल पर लेटेस्ट अपडेट...

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2021 10:13 PM

नयी दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक साल के आंदोलन के बाद किसानों की मांगों के आगे घुटने टेक दिये. अब ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार को नये सिरे से घेरने की तैयारी कर ली है. इसमें संयुक्त किसान मोर्चा उनकी मदद करने के लिए तैयार है.

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव बनाने और अपनी कई मांगों को मनवाने के लिए ट्रेड यूनियनों ने बजट सत्र के दौरान बैंक हड़ताल का ऐलान कर दिया है. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि 23 और 24 फरवरी 2022 को वे देश भर के बैंकों में कामकाज बंद करेंगे.

बैंक हड़ताल का आह्वान केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ क्षेत्रीय अखिल भारतीय संघ और संघों के संयुक्त मंच ने किया है. बैंक हड़ताल पर अंतिम निर्णय नवंबर में नयी दिल्ली में हुई ट्रेड यूनियनों के नेशनल कन्वेंशन ऑफ वर्कर्स के कन्वेशन में लिया गया था.

  • 23-23 फरवरी 2022 को दो दिवसीय बैंक हड़ताल का ऐलान

  • संयुक्त किसान मोर्चा ने किया है ट्रेड यूनियनों के बंद का समर्थन

  • टैक्स नहीं देने वाले लोगों को प्रति माह 7500 रुपये देने की मांग की

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि वे लोग लेबर कोड और ईडीएस को खत्म करने के सरकार के फैसले के विरोध में उन्होंने बंद का आह्वान किया है. उनके एजेंडा में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की 6 सूत्री मांगें भी शामिल हैं.

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यूनियनों की मांग है कि ऐसे परिवारों को खाद्य एवं आर्थिक सहायता दी जाये, जो आयकर का भुगतान नहीं करते. इनका कहना है कि ऐसे लोगों को 7,500 रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए. साथ ही इन्होंने महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) योजना के विस्तार की भी मांग की है.

निजीकरण का करेंगे विरोध : ट्रेड यूनियन

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि वे किसी भी सरकारी कंपनी या संपत्ति के निजीकरण के खिलाफ हैं और उसका विरोध करेंगे. ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि पेट्रोलियम उत्पाद में की गयी कटौती पर्याप्त नहीं है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ी है. इसलिए सरकार को पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने के लिए और कदम उठाने चाहिए.

महंगाई कम करने के लिए ठोस कदम उठाये सरकार

देश में महंगाई कम करने के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग ट्रेड यूनियनों ने की है. साथ ही कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किये गये कर्मचारियों को नियमित करने, योजना कर्मियों को समान काम के बदले समान वेतन देने की मांग की गयी है. नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को रद्द करके पुरानी पेंशन स्कीम को ही बहाल करने की ट्रेड यूनियनों की मांग है.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि एसकेएम के नेताओं के साथ मिलकर जनसभा करने की संयुक्त तैयारी की जा रही है. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों के संयुक्त मंच की राज्य इकाइयां अलग-अलग अभियान चलायेंगी.

हड़ताल में शामिल यूनियन

इस हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एक्टू, एलपीएफ, यूटीयूसी और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघ जैसे यूनियन शामिल होंगे. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनिनयंस ने कहा है कि बैंकों के दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को संयुक्त मंच ने अपना समर्थन दिया है.

ज्ञात हो कि वर्ष 2022 की शुरुआत में ही देश के पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, पंजाब, त्रिपुरा, गोवा और उत्तराखंड) में विधानसभा के चुनाव हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को चुनावों में हराने का बीड़ा उठा रखा है.

Posted By: Mithilesh Jha

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