लोन EMI भरने में देर होने पर पैनल्टी इंट्रेस्ट नहीं वसूल सकेंगे बैंक, RBI ने जारी की नई अधिसूचना

आरबीआई ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है और ग्राहकों को इसके बारे में सही तरीके से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है.

By KumarVishwat Sen | August 18, 2023 3:49 PM

मुंबई : अगर आपने भारत के किसी भी बैंक से लोन लिया है और किसी वजह से उसकी ईएमआई (मासिक किस्त) का वक्त पर भुगतान नहीं कर पाए, तो ऐसा करने पर बैंक आप पर पैनल्टी लगाने के बाद उस पर ब्याज पर ब्याज जोड़ते चले जाते थे. अब बैंक ईएमआई भरने में देर होने के बाद आप पर पैनल्टी चार्ज तो लगाएंगे, लेकिन वे ब्याज पर ब्याज नहीं वसूल पाएंगे. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को इसके लिए एक नई अधिसूचना जारी की है, जिसमें बैंकों को खास निर्देश दिए गए हैं. आरबीआई ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे कर्ज ले चुके ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं.

बैंक चुपके से बढ़ा देते हैं लोन की ईएमआई

आरबीआई ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है और ग्राहकों को इसके बारे में सही तरीके से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है. इस चिंता को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने अपने नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को एक उचित नीतिगत ढांचा बनाने को कहा है.

ईएमआई या लोन पीरियड बढ़ने की ग्राहकों को वक्त पर दें जानकारी

आरबीआई ने कहा कि कर्ज की मंजूरी के समय बैंकों को अपने ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि मानक ब्याज दर में बदलाव की स्थिति में ईएमआई या कर्ज की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. ईएमआई या कर्ज की अवधि बढ़ने की सूचना उचित माध्यम से तत्काल ग्राहक को दी जानी चाहिए. इसके अलावा, नीति के तहत ग्राहकों को यह भी बताया जाए कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा. साथ ही, कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ईएमआई या लोन की अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं.

ग्राहकों को आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की मिले अनुमति

आरबीआई की अधिसूचना में कहा गया है कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की अनुमति दी जाए. यह सुविधा उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए. आरबीआई ने पिछले सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कर्ज लेने वाले लोगों को परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) ब्याज दर से निश्चित ब्याज दर का विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात कही थी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इसके लिए एक नया ढांचा तैयार किया जा रहा है. इसके तहत बैंकों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को लोन की अवधि तथा मासिक किस्त (ईएमआई) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी.

ईएमआई भरने में देर होने पर पैनल्टी इंट्रेस्ट नहीं ले सकते

आरबीआई ने कहा है कि बैंक या वित्तीय संस्थान कर्ज वाले खाते में ईएमआई भरने में देर होने पर दंडात्‍मक ब्‍याज (पैनल्टी इंट्रेस्ट) नहीं ले सकते. RBI ने अपने सर्कुलर में कहा है कि ऐसे जुर्मानों पर कोई ब्‍याज नहीं लिया जाएगा. रिजर्व बैंक ने हिदायत दी है कि बैंक पीनल इंटरेस्ट को ब्याज से कमाई का जरिया न बनाएं. रिजर्व बैंक ने अपनी अधिसूचना में बैंकों के लिए लोन वाले खाते में नॉन कंप्लायंस और पेनल्टी को लेकर नियम तय किए हैं.

Also Read: क्या आप अपने बैंक लोन का ईएमआई समय पर नहीं चुका पा रहे, इन उपायों से आप आसानी से चुका सकते हैं ऋण

क्या कहता है आरबीआई

  • अगर किसी लोन अकाउंट पर पेनल्टी चार्ज की गई है, तो ये पीनल चार्ज के रूप में होनी चाहिए. इसे पीनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं होना चाहिए, जो लोन के ब्याज में जाकर जुड़ जाता है.

  • बैंक और कर्जदाता संस्‍थाओं को ब्‍याज पर लगाए गए किसी भी अतिरिक्‍त कॉम्‍पोनेंट पेश करने की अनुमति नहीं है.

  • रेगुलर एंटिटीज को पीनल चार्ज या लोन पर समान शुल्क (चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए) इस पर एक बोर्ड की मंजूर नीति तैयार करनी होगी.

  • पीनल चार्ज कितना लगाया जा रहा है, वह वाजिब होना चाहिए और लोन अकाउंट के नॉन-कंप्लायंस के अनुरूप होना चाहिए. बैंक किसी विशेष लोन/प्रोडक्ट कैटेगरी में भेदभाव नहीं कर सकते.

  • आरबीआई ने कहा है कि पर्सनल लोन के कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्‍टी, नॉन-इंडिविजुअल कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्‍टी से अधिक नहीं हो सकती.

  • पीनल चार्ज की मात्रा और उसको लगाने की वजह लोन एग्रीमेंट में बैंकों को ये साफ तौर पर ग्राहकों को बताना होगा. इसके अलावा, ब्याज दरों और सर्विस के तहत बैंकों की वेबसाइट पर भी दिखाया जाएगा.

  • नॉन-कंप्‍लायंस के संबंध में ग्राहकों को भेजे गए किसी भी रिमाइंडर में ‘पेनल्‍टी’ का उल्‍लेख करना जरूरी होगा.

  • ये निर्देश 1 जनवरी 2024 से लागू होंगे. बैंक अपने नीति ढांचे में जरूरी बदलाव कर सकते हैं और प्रभावी तिथि से लिए गए/रीन्यू किए गए सभी नए लोन के संबंध में निर्देशों को लागू कर सकते हैं.

Next Article

Exit mobile version