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साबुन से नहाना महंगा
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साबुन की कीमतों में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी
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पाम ऑयल की कीमत में बढ़ोतरी
आम आदमी पर महंगाई की एक और मार पड़ चुकी है. जी हां…अब साबुन से नहाना भी महंगा होने वाला है. दरअसल एफएमसीजी कंपनियों ने साबुन की कीमतों में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने का काम किया है. कंपनियों की मानें तो पाम तेल की बढ़ती लागत के मद्देनजर यह निर्णय किया गया है.
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियों ने साबुन की कीमत में बढ़ोतरी का निर्णय किया है. विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग संतूर साबुन का ब्रांड बनाती है. उसकी ओर से कहा गया है कि उसने अपने साबुन की कीमत में पिछले तीन से चार महीनों में 8% की वृद्धि की है.
क्यों बढ़ी कीमत : विप्रो कंज्यूमर केयर एंड लाइटिंग के सीईओ विनीत अग्रवाल ने महंगी होती कीमत को लेकर कहा कि साबुन बनाने में उपयोग में लाया जाने वाला पाम ऑयल एक प्रमुख घटक है जिसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है. यही वजह है कि साबुन की कीमत में बढ़ोतरी करने का निर्णय लेना पड़ा. आगे उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय माल ढुलाई लागत में वृद्धि हुआ है जिसकी वजह से मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम ऑयल के आयात करने की लागत को बढ़ाने का काम किया है.
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पाम ऑयल के फसलों का उत्पादन : इसके अलावा कोरोना का प्रभाव मलेशिया में पाम ऑयल के फसलों के उत्पादन पर पड़ा है. इससे पाम ऑयल की कीमत में वृद्धि हुई है जिसका असर साबुन उत्पादन लागत पर दिख रहा है. पाम ऑयल की कीमत पर नजर डालें तो ये नौ साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. कोरोना महामारी के बाद भी हैंड वॉश साबुन का इस्तेमाल बढ़ा जिससे पाम ऑयल की मांग में इजाफा हुआ. इस साल भी मांग बनी रहने की संभावना है. जानकारों की मानें तो पाम ऑयल कीमत और बढ़ सकती है जिसका असर साबुन के उत्पादन पर पड़ेगा. यदि लागत बढ़ता है तो कंपनियां कीमत बढ़ाने का काम करेगी.
लाइफबॉय-डव की कीमत पर नजर : कंपनियों ने सभी तरह के साबुन की कीमतों में बढ़ोतरी करने का काम किया है. उदाहरण के तौर पर लाइफबॉय टोटल (125 ग्राम) 22 रुपये से बढ़कर 25 रुपये में ग्राहकों को मिल रहा है. वहीं तीन साबुन पैव वाले डव की कीमत 150 रुपये से बढ़कर 160 रुपये पहुंच चुकी है.
Posted By : Amitabh Kumar
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