BYJU’S मामले मे BCCI समझौते के लिए तैयार, मामला बुधवार तक टाला

NCLAT में दिवालियापन कार्यवाही के खिलाफ BYJU'S के प्रमोटर की याचिका की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्षों के बीच चल रही बातचीत का मुद्दा उठाया. BCCI का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने एक दिन की मोहलत मांगी थी.

By Pranav P | July 30, 2024 6:09 PM

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने BYJU’S के साथ चल रहे विवाद के संबंध में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के साथ नियोजित सुनवाई के लिए औपचारिक रूप से एक दिन का एक्सटेंशन मांगा है. इसके अतिरिक्त, BCCI ने खुलासा किया है कि वे वर्तमान में BYJU’S के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिससे दोनों पक्षों के बीच समाधान की संभावना के आसार हैं.

मिला एक दिन का एक्सटेंशन

Byjus

NCLAT में दिवालियापन कार्यवाही के खिलाफ BYJU’S के प्रमोटर की याचिका की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्षों के बीच चल रही बातचीत का मुद्दा उठाया. BCCI का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने एक दिन की मोहलत मांगी और नई पीठ ने इसे मंजूरी दे दी है. गैस ट्रस्ट एलएलसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी भी मौजूद थे. गैस ट्रस्ट एलएलसी एक अमेरिकी ऋणदाता है जो 8,000 करोड़ रुपये के कुल ऋण पर चूक का दावा कर रहा है.

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BYJU’S पर चल रहा है केस

BYJU’S के संस्थापक बायजू रवींद्रन की याचिका पर Justice राकेश कुमार जैन और Justice जतिंद्रनाथ स्वैन की नई पीठ ने सुनवाई की. Justice शरद कुमार शर्मा ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के वकील के रूप में अपनी पिछली भागीदारी का हवाला देते हुए मामले से खुद को अलग कर लिया था. NCLAT रवींद्रन के उस अनुरोध पर विचार कर रहा था, जिसमें थिंक एंड लर्न (BYJU’S की मालिक कंपनी) की दिवालियापन प्रक्रिया को रोकने की मांग की गई थी.

BCCI ने किया था केस

BCCI ने आईबीसी के तहत दिवालियापन के मुद्दों के लिए NCLT में मामला दायर करके थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया. इसकी वजह थिंक एंड लर्न का 158.9 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर पाना था. इसके बाद NCLT ने कंपनी के वित्त को संभालने और इसके मौजूदा बोर्ड को बदलने के लिए एक आईआरपी नियुक्त किया. BCCI ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि थिंक एंड लर्न अपनी भुगतान जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सका, जिसके कारण NCLT को हस्तक्षेप करना पड़ा.

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