Bettiah Royal Family : 80 साल बाद बेतिया राजा का संदूक खुला, बेशकीमती गहनों को देख अफसर भी रह गए हैरान

Bettiah Royal Family: 80 साल बाद बेतिया राजघराने का संदूक खुला, बेशकीमती गहनों का खजाना मिला, देख कर अफसर भी दंग रह गए . ये गहने अब बिहार राज की संपत्ति का हिस्सा बनेंगे

By Abhishek Pandey | January 20, 2025 1:32 PM

Bettiah Royal Family: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की संरक्षित संपत्तियों में से एक संदूक 18 जनवरी 2025 को 80 साल बाद खोला गया. इस संदूक से बेशकीमती गहनों की प्राप्ति हुई है. इस संदूक को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पटना शाखा के स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा गया था. अब राज्य सरकार बेतिया राज की सभी चल और अचल संपत्तियों का मूल्यांकन कर रही है.

बक्से में गहनों की खजाना, बाकी पांच बक्से भी खोले जाएंगे

संदूक खोलने पर भारी मात्रा में सोने की मटरमाला और अन्य गहने मिले हैं. इस खोज से यह संभावना जताई जा रही है कि बाकी बक्सों में भी ऐसे बेशकीमती सामान हो सकते हैं. इन बाकी पांच बक्सों को भी जल्द खोला जाएगा और उनके सामान का मूल्यांकन किया जाएगा.

बेतिया राज का इतिहास और संपत्ति का प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के अधीन

बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु 1893 में हुई और उनके कोई उत्तराधिकारी नहीं थे. इसके बाद उनकी पत्नियों के माध्यम से राज का प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ को सौंप दिया गया. बेतिया राज का शासन 1883 से राजा हरेंद्र किशोर सिंह और उनकी पत्नी महारानी जानकी कुंवर के हाथों में था.

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बेतिया राज की संपत्ति का राज्यकरण

पिछले महीने बिहार विधानमंडल ने एक अधिनियम पारित किया, जिसके बाद बेतिया राज की सभी संपत्तियों का अधिकार बिहार सरकार को मिल गया. अब सरकार इन संपत्तियों की जांच और मूल्यांकन कर रही है.

चोरी और बर्बादी से बचाव के लिए सरकार का कदम

बेतिया राज की संपत्तियों के संरक्षण और चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने इन संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है. 1990 में बेतिया राज के दौलत खाने से हुई हीरे और जवाहरात की चोरी को एशिया की सबसे बड़ी चोरी माना गया था.

15,358 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण

बेतिया राज के पास 15,358.60 एकड़ भूमि है, जिसमें 15,215.33 एकड़ बिहार में और 143.26 एकड़ उत्तर प्रदेश में स्थित है. हालांकि, इस भूमि के कई हिस्सों पर अतिक्रमण हो चुका है, जिससे सरकार को इन भूमि हिस्सों को फिर से कब्जे में लेने और उनका संरक्षण करने की आवश्यकता है.

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