नई दिल्ली : देश में रेल से सफर करने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेलवे की ओर से अब तक कई रूटों पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत हो चुकी है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए राजस्थान में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. इसके शुरू हो जाने के बाद राजस्थान में पर्यटन के विकास होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है. पिछले दो महीने के दौरान ये छठी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई. सबसे बड़ी बात यह है कि भारत में शुरू होने वाली वंदे भारत ट्रेनों के बारे में तो प्राय: सभी जानते हैं, लेकिन सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेन को कौन बनाता है और कहां से बनकर आता है, इसे बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए, जानते हैं कि वंदे भारत ट्रेनों को बनाने का ठेका किसे दिया गया है.
टीटागढ़ वैगन्स बनाएगी वंदे भारत ट्रेन
मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के कंर्सोटियम टीटागढ़ वैगन्स को भारतीय रेलवे की ओर से 80 स्लीपर क्लास वंदे भारत ट्रेनों को बनाने का ठेका दिया गया है. यह ठेका कुल 9,600 करोड़ रुपये से अधिक का है. शेयर बाजार में सूचीबद्ध स्मॉल कैप कंपनी टीटागढ़ वैगन्स के शेयर में बहुत तेजी के साथ बढ़ोतरी दर्ज की गई.
6 साल में 80 ट्रेनों की करनी है आपूर्ति
मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि भेल के कंर्सोटियम टीटागढ़ वैगन्स को 6 साल में 80 स्लीपर क्लास वंदे भारत ट्रेन की आपूर्ति भारतीय रेलवे को करनी है. बताया जा रहा है कि देश में स्लीपर क्लास वंदे भारत ट्रेनों की मांग काफी अधिक है. खासतौर से दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे लंबे रूट पर इन्हें चलाया जा सकता है. इस समय चल रही सभी वंदे भारत ट्रेनों में केवल कुर्सीयान और विशेष कुर्सीयान की श्रेणियां ही शामिल हैं.
35 साल तक रखरखाव भी करेगी कंपनी
कंपनी ने मंगलवार को शेयर बाजार को बताया कि भेल की अगुआई वाले कंर्सोटियम टीटागढ़ वैगन्स को भारतीय रेलवे से 80 वंदे भारत ट्रेन का ठेका मिला है. इसके तहत प्रत्येक ट्रेन का आपूर्ति मूल्य करों और शुल्कों को छोड़कर 120 करोड़ रुपये है. शेयर बाजार को दी जानकारी के अनुसार, टीटागढ़ वैगन्स वंदे भारत ट्रेनों के 35 साल तक रखरखाव का ठेका भी दिया गया है. भेल 72 महीनों में 80 ट्रेन की आपूर्ति करेगी.
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