BHIM-UPI का अगर कराना है इस्तेमाल, तो सरकार को हर साल खर्च होंगे 2,500 करोड़ रुपये

BHIM-UPI News : डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए भारत सरकार और आरबीआई के सहयोग से पेश किए गए भीम-यूपीआई ऐप्स का अगर प्रयोग करना है, तो सरकार को हर साल करीब 2,500 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान सालाना बजट में रखना होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2020 3:16 PM

BHIM-UPI News : आज डिजिटाइजेशन के युग में कैशलेस पेमेंट आम होता जा रहा है. खासकर, जब से देश में कोरोना वायरस महामारी का प्रसार हुआ है, तभी से लोग दुकानदारों को नकदी देने में कतराते हैं. अव्वल तो यह कि किसी दुकान पर जाने के बाद खरीदार सबसे पहले यूपीआई (UPI) या भीम (BHIM) के क्यूआर कोड वाला पर्चा दीवार पर या फिर छोटे बोर्ड पर चस्पा हुए देखना चाहते हैं. यदि ये दोनों मिल गए तो खरीदारी करने के बाद नकदी भुगतान करने के बजाए वे डिजिटल माध्यम से पेमेंट करना ज्यादा मुनासिब समझते हैं. मगर, यह इस कोरोना काल में अब भी केवल शहरों या कस्बाई इलाकों तक ही सीमित है. ग्राम्य भारत में अब भी नकदी लेन-देन ही होता है.

खैर, खबर यह है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए भारत सरकार और आरबीआई के सहयोग से पेश किए गए इन दोनों ऐप्स का अगर प्रयोग करना है, तो सरकार को हर साल करीब 2,500 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान सालाना बजट में रखना होगा. आईआईटी मुंबई (IIT Mumbai) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भीम-यूपीआई के जरिये कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार को 2,500 करोड़ रुपये का सालाना बजट समर्थन देने की जरूरत होगी. इससे कैश के रखरखाव में होने वाले खर्च में काफी बचत होगी.

रिपोर्ट में इस बात पर खास ख्याल दिया गया है कि आम तौर पर कंज्यूमर को डिजिटल तरीके से किये जाने वाले पेमेंट पर सर्विस चार्ज का भुगतान करना पड़ता है. इसमें कहा गया है कि आरबीआई को इस तरह का माहौल नहीं बनाना चाहिए, जहां ट्रेडर्स की मशीन पर शुरू पेमेंट सिस्टम में भुगतान लेने वाले या पेमेंट एग्रीगेटर (पीए) कंपनियों यानी सूत्रधारक द्वारा व्यवसायी की ओर से कंज्यूमर से शुल्क वसूला जाता हो.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईआरसीटीसी (IRCTC) जिस तरह भीम- यूपीआई के जरिये भुगतान को स्वीकार करने पर विशेष तौर पर डिस्काउंट देती है, अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमेटो, स्विगी, एयरटेल और मेकमाय ट्रिप जैसी प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों को भी उसी तरह करना चाहिए. इससे भीम-यूपीआई के तहत ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ेगी.

यह रिपोर्ट भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के मैथ्स डिपार्टमेंट ने तैयार की है. इसमें कहा गया है कि 2,500 करोड़ रुपये की सालाना बजट सहायता से जहां एक तरफ भीम-यूपीआई को सपोर्ट मिलेगा. वहीं, भुगतान में कैश को संभालने के खर्च में काफी बचत होगी. अकेले नवंबर 2020 में ही भीम-यूपीआई के जरिये करीब 221 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया.

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Posted By : Vishwat Sen

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