Petrol Prices: कच्चे तेल का भाव आसमान पर, जानें, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों का इलेक्शन कनेक्शन
Petrol Price: कच्चे तेल का भाव आसमान पर पहुंच जाने के बावजूद भारत में ढाई महीने से नहीं बढ़ा पेट्रोल-डीजल का भाव. जानें ईंधन की कीमतों का इलेक्शन कनेक्शन...
Petrol Price Today: इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में भारी इजाफा के बावजूद भारत में पिछले 74 दिन से पेट्रोल-डीजल की कीमतों (petrol diesel prices in india) में वृद्धि नहीं हुई है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल का भाव वर्ष 2014 के बाद से अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. कच्चा तेल प्रति बैरल 87 डॉलर पर पहुंच गया है. इसके बावजूद घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार 74वें दिन अपरिवर्तित बने रहे.
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के मानक ब्रेंट क्रूड के भाव मंगलवार को 87.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गये. बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति पक्ष से जुड़ी बाधाओं को इसकी सबसे अहम वजह मानी जा रही है. यमन के हूती विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में तेल प्रतिष्ठान पर हमला करके आपूर्ति को बाधित कर दिया है. इसके अलावा वैश्विक तेल भंडार भी कम हो रहे हैं.
विश्लेषकों का मानना है कि इस हमले के बाद पश्चिम एशिया के दो पड़ोसी देशों ईरान एवं सऊदी अरब (Saudi Arabia) के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है. इससे कच्चे तेल की आपूर्ति आने वाले समय में और बाधित हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में पिछले कुछ दिनों से आयी तेजी के बावजूद घरेलू स्तर पर पेट्रोल एवं डीजल के दाम (Petrol Diesel Rates) नहीं बढ़ रहे हैं. करीब ढाई महीने से पेट्रोल एवं डीजल के दामों (Petrol Diesel Prices) में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.
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दिल्ली में पेट्रोल 95.41 रुपये, डीजल का भाव 86.67 रुपये
दिल्ली में पेट्रोल के दाम (Delhi Petrol Price Today) 95.41 रुपये प्रति लीटर के भाव पर हैं जबकि डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर के दाम (Delhi Diesel Price Today) पर बिक रहा है. उत्पाद शुल्क में कटौती (Exise Duty Cut) के बाद राज्य सरकार के स्तर पर भी मूल्य वर्धित कर (VAT) कम किये जाने से पेट्रोल एवं डीजल के दाम इस स्तर पर हैं.
अक्टूबर के अंत में पेट्रोल 110 रुपये और डीजल 98 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया था. जब देश में पेट्रोल एवं डीजल के दाम इतनी ऊंचाई पर थे, उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड भी 82 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना हुआ था. हालांकि, बाद में उसमें गिरावट आती गयी और दिसंबर, 2021 के अंत तक यह 68.87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक आ गया था.
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हालांकि, नये साल की शुरुआत होते ही ब्रेंट क्रूड के भाव फिर से बढ़ने लगे और अब यह 87.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुके हैं. यह वर्ष 2014 के बाद का इसका उच्चतम स्तर है. भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें तय करने का अधिकार सरकार ने पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को दिया हुआ है. लेकिन, कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद तेल कंपनियां घरेलू स्तर पर कीमतें नहीं बढ़ा रही हैं.
चुनावों की वजह से नहीं बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की वजह से भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि नहीं की जा रही है. ऐसा विश्लेषकों का मानना है. उनके मुताबिक, जब तक पांच राज्यों के चुनाव (Assembly Elections 2022) संपन्न नहीं हो जाते, तब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
कब-कब नहीं बढ़े पेट्रोल-डीजल के भाव, यहां जानें
इसके पहले तेल कंपनियों ने वर्ष 2017 में भी इन पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भी काफी दिनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ायी थी. पंजाब (Punjab Assembly Election 2022), गोवा (Goa Assembly Election 2022), उत्तराखंड (Uttarakhand Assembly Election 2022), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) और मणिपुर (Manipur Assembly Election 2022) में जारी चुनाव प्रक्रिया के दौरान (16 जनवरी से 1 अप्रैल, 2017 तक) तेल कीमतें स्थिर बनी रहीं थीं. उसके कुछ महीने बाद दिसंबर, 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी करीब दो सप्ताह तक पेट्रोल एवं डीजल के दाम नहीं बढ़ाये गये थे.
वर्ष 2019 में अप्रैल-मई के दौरान हुए लोकसभा चुनावों में भी तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाये थे. मतदान का अंतिम चरण संपन्न होते ही पेट्रोल एवं डीजल के भाव फिर से बढ़ने लगे थे. जून, 2017 में दैनिक आधार पर तेलों के भाव संशोधित करने का अधिकार सरकार ने तेल कंपनियों को दे दिया था.
उसके बाद से पेट्रोलियम कीमतों (Petroleum Prices) में बिना बढ़ोतरी के सर्वाधिक 74 दिन बीतने का यह दूसरा मामला है. इसके पहले 17 मार्च-6 जून, 2020 के बीच 82 दिनों तक कोई मूल्यवृद्धि नहीं हुई थी. जेपी मॉर्गन ने कहा है कि पेट्रोल एवं डीजल के खुदरा दाम (Retail Prices of Petrol Diesel) नवंबर की शुरुआत से ही स्थिर बने हुए हैं. इससे पेट्रोलियम कंपनियों (Petroleum Companies) का सकल मार्जिन काफी हद तक सामान्य स्तर तक आ चुका है.
Posted By: Mithilesh Jha
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