नयी दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (GST) चोरी रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने इसके लिए नया नियम बनाया है, जिसमें 50 लाख रुपये से ज्यादा के मासिक कारोबार करने वाली कंपनियों को आवश्यक रूप से एक फीसदी जीएसटी का नकदी भुगतान करना होगा.
बुधवार को वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 50 लाख रुपये से अधिक के मासिक कारोबार वाली इकाइयों को आवश्यक रूप से एक फीसदी जीएसटी देनदारी का भुगतान नकद में करना होगा. यह कदम जाली बिल (इन्वॉयस) के जरिये कर चोरी रोकने के लिए उठाया गया है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी नियमों में नियम 86 बी पेश किया है. यह नियम इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) का अधिकतम 99 फीसदी तक ही इस्तेमाल जीएसटी देनदारी निपटाने की अनुमति देता है.
किस पर लागू होगा नियम : सीबीआईसी ने बुधवार कहा कि किसी महीने में करयोग्य आपूर्ति का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक होने पर कोई भी रजिस्टर्ड व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में उपलब्ध राशि का इस्तेमाल 99 फीसदी से अधिक टैक्स देनदारी को पूरा करने के लिए नहीं कर सकता. कारोबार की सीमा की गणना करते समय जीएसटी छूट वाले उत्पादों या शून्य दरों वाली आपूर्ति को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा.
किस पर लागू नहीं होगा नया नियम : सीबीआईसी ने कहा कि हालांकि, कंपनी के प्रबंध निदेशक या किसी भागीदार ने यदि एक लाख रुपये से अधिक का इनकम टैक्स दिया है अथवा रजिस्टर्ड व्यक्ति को इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस्तेमाल न हुए इनपुट कर क्रेडिट पर एक लाख रुपये से अधिक का रिफंड मिला है, तो उस पर यह अंकुश लागू नहीं होगा.
आईटीसी के दुरुपयोग के लिए उठाया गया यह कदम : ईवाई के कर भागीदार अभिषेक जैन ने कहा कि सरकार ने 50 लाख रुपये मासिक से अधिक के करयोग्य कारोबार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिये कर देनदारी के भुगतान को 99 फीसदी तक सीमित किया है. जैन ने कहा कि इस कदम का मकसद कंपनियों को जाली बिलों के जरिये आईटीसी का दुरुपयोग करने से रोकना है.
Posted By : Vishwat Sen
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