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TATA के हाथों में नहीं जाएगी Bisleri, मान गईं ‘मालकिन’

इटली के कारोबारी फेलिस बिसलेरी ने 'बिसलेरी' ब्रांड को मलेरिया की दवा बनाने वाली कंपनी के तौर पर स्थापित किया था. बाद उन्होंने इसे बोतलबंद मिनरल वाटर बेचने वाली कंपनी के तौर पर तब्दील कर दिया. इटली के कारोबारी फेलिस वर्ष 1959 में बिसलेरी को लेकर भारत आए.

नई दिल्ली : भारत के बोतलबंद मिनरल वाटर के बाजार की दिग्गज कंपनी बिसलेरी अब टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) के हाथों नहीं बिकेगी. इसका कारण यह है कि बिसलेरी इंटरनेशनल के चेयरमैन रमेश चौहान की बेटी जयंती चौहान पिता का कारोबार संभालने के लिए मान गई हैं. अब वे अपने पिता के इस कारोबार की कमान संभालेंगी. हालांकि, इससे पहले भी वे अपने पिता के इस कारोबार को संभालने में हाथ बंटा रही थीं. मीडिया की खबरों के अनुसार, जयंती चौहान कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एंजेलो जॉर्ज के नेतृत्व वाली प्रोफेशनल प्रबंधन टीम के साथ मिलकर काम करेंगी. हालांकि, इससे पहले, रमेश चौहान बिसलेरी ब्रांड को बेचने के लिए टाटा ग्रुप को अनुमानित करीब 7,000 करोड़ रुपये में बेचने पर सहमत हो गए थे. बाद में टाटा कंज्यूमर इस सौदे से बाहर निकल गई थी.

1993 में थम्स अप समेत कोल्ड ड्रिंक्स कंपनियों को बेचा

बता दें कि बिसलेरी इंटरनेशनल के मालिक रमेश चौहान ने तीन दशक पहले अपने सॉफ्ट ड्रिंक कारोबार को अमेरिकी पेय पदार्थ कंपनी कोका-कोला को बेच दिया था. उन्होंने थम्स अप, गोल्ड स्पॉट, सिट्रा, माजा और लिम्का जैसे ब्रांड 1993 में कंपनी को बेच दिये थे. चौहान 2016 में फिर से सॉफ्ट ड्रिंक के कारोबार में उतरे, लेकिन उनके उत्पाद ‘बिसलेरी पॉप’ को उतनी सफलता नहीं मिली.

इटली से भारत आई थी बिसलेरी

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इटली के कारोबारी फेलिस बिसलेरी ने ‘बिसलेरी’ ब्रांड को मलेरिया की दवा बनाने वाली कंपनी के तौर पर स्थापित किया था. बाद उन्होंने इसे बोतलबंद मिनरल वाटर बेचने वाली कंपनी के तौर पर तब्दील कर दिया. इटली के कारोबारी फेलिस वर्ष 1959 में बिसलेरी को लेकर भारत आए. इसके बाद महाराष्ट्र के एक डॉक्टर सेसार रॉसी ने खुशरू सुंतूक नामक वकील के साथ मिलकर बिसलेरी की शुरुआत की. डॉ सेसार रॉसी ने वर्ष 1965 में महाराष्ट्र के ठाणे में बिसलेरी वाटर प्लांट की स्थापना की थी. उस समय उनका काफी मजाक भी उड़ाया गया था.

पैकेज्ड वाटर मार्केट पर 32 फीसदी पर बिसलेरी का कब्जा

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ सेसार रॉसी और खुशरू सुंतूक बिसलेरी वाटर प्लांट को सफलतापूर्वक नहीं चला पाए, तो फिर उन्होंने इसे बेचने की योजना बनाई. यह खबर पारले कंपनी के संचालक चौहान ब्रदर्स तक पहुंची और वर्ष 1969 में रमेश चौहान ने महज 4 लाख रुपये में बिसलेरी को खरीद लिया. आज स्थिति यह है कि भारत में करीब 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज्ड वाटर मार्केट में से करीब 32 फीसदी पर बिसलेरी की हिस्सेदारी है.

Also Read: Bisleri को बेचने के लिए Tata सहित कई कंपनियों से चल रही रमेश चौहान की बातचीत
क्यों बेची जा रही थी कंपनी

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की पैकेज्ड वाटर कंपनी बिसलेरी की बिक्री की खबर आई, तो कहा यह गया था कि कंपनी को आगे बढ़ाने या विस्तार देने के लिए 82 वर्षीय रमेश चौहान के पास कोई इसका उत्तराधिकारी नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया था कि रमेश चौहान की बेटी और कंपनी की वाइस चेयरमैन जयंती चौहान कारोबार में अधिक दिलचस्पी नहीं दिखा रही थीं. इसके बाद रमेश चौहान ने कंपनी को बेचने का फैसला किया था. यह खबर बाजार में आने के बाद टाटा कंज्यूमर समेत कई कंपनियां सामने आई थीं.

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