मुंबई : बंबई हाईकोर्ट ने रिलायंस एडीएजी के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ टैक्स चोरी के एक मामले में आयकर विभाग की तरफ से भेजे गए नोटिस पर सोमवार को सवाल खड़ा किया है. अदालत ने कहा कि कालाधन अधिनियम के कुछ प्रावधान पिछली तारीख से किस तरह लागू किए जा सकते हैं. न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एसजी डिगे की खंडपीठ ने अनिल अंबानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोई व्यक्ति यह किस तरह जान सकता है कि सरकार भविष्य में क्या करने वाली है?
अनिल अंबानी की याचिका पर 20 फरवरी को अगली सुनवाई
समाचार एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, रिलायंस एडीएजी के चेयरमैन अनिल अंबानी ने बंबई हाईकोर्ट में दायर याचिका के जरिए आयकर विभाग से भेजे गए कारण-बताओ नोटिस को चुनौती दी है. बंबई हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 20 फरवरी तक के लिए स्थगित करने के साथ ही अंबानी के खिलाफ कोई भी सख्त कदम न उठाने के अपने सितंबर, 2022 के आदेश को आगे के लिए बढ़ा दिया है.
420 करोड़ रुपये की कर चोरी के मामले में नोटिस
आयकर विभाग ने आठ अगस्त, 2022 को अनिल अंबानी को 420 करोड़ रुपये की कथित कर चोरी के मामले में नोटिस भेजा था. उन पर दो स्विस खातों में जमा 814 करोड़ रुपये पर कर बचाने का आरोप है. इस नोटिस में अंबानी के खिलाफ कालाधन कर आरोपण अधिनियम 2015 की धाराओं 50 एवं 51 के तहत अभियोग चलाने की बात कही गई थी. इन धाराओं के तहत अधिकतम 10 साल के कारावास का प्रावधान है.
पिछली तारीख से अपराध घोषित कैसे?
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने कहा कि कोई व्यक्ति एक निश्चित तरीके से बर्ताव करता है. फिर सरकार उसे पिछली तारीख से अपराध घोषित कर देती है. यह कहना तो ठीक है कि कोई व्यक्ति अब वह काम नहीं कर सकता है, लेकिन इसे पिछली तारीख से कैसे लागू किया जा सकता है.
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