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Boycott China : अब Hero Cycles ने भी चीन को दिया झटका, करोड़ों का ऑर्डर किया कैंसिल

Boycott China : पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Ghati) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी भारत-चीन सीमा विवाद (Indo-China Border Dispute) के बीच भारतीय साइकिल विनिर्माता कंपनी (Indian bicycle manufacturer company) हीरो साइकिल्स (Hero Cycles) ने चीन (China) को करारा झटका दिया है. हीरो साइकल्स ने चीन को बड़ा झटका देते हुए 900 करोड़ रुपये के ऑर्डर को रद्द कर दिया है. कंपनी के चेयरमैन (Chairman) और प्रबंधन निदेशक (MD) पंकज मुंजाल (Pankaj Munjal) ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अगले तीन महीनों में हम चीन के साथ 900 करोड़ रुपये का व्यापार करने वाले थे, लेकिन हमने इन्हें रद्द कर दिया है. यह चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर प्रतिबद्धता है.

Boycott China : पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Ghati) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी भारत-चीन सीमा विवाद (Indo-China Border Dispute) के बीच भारतीय साइकिल विनिर्माता कंपनी (Indian bicycle manufacturer company) हीरो साइकिल्स (Hero Cycles) ने चीन (China) को करारा झटका दिया है. हीरो साइकल्स ने चीन को बड़ा झटका देते हुए 900 करोड़ रुपये के ऑर्डर को रद्द कर दिया है. कंपनी के चेयरमैन (Chairman) और प्रबंधन निदेशक (MD) पंकज मुंजाल (Pankaj Munjal) ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अगले तीन महीनों में हम चीन के साथ 900 करोड़ रुपये का व्यापार करने वाले थे, लेकिन हमने इन्हें रद्द कर दिया है. यह चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर प्रतिबद्धता है.

कंपनी ऊंचे दर्जे के साइकलों के कलपुर्जों का आयात करती है और कई तैयार साइकल भी मंगाए जाते हैं, जिन्हें पेशेवर खिलाड़ी खरीदते हैं. इन साइकलों की कीमत बाजार में 15 हजार से लेकर 7 लाख से अधिक तक है. मुंजाल ने कहा कि उन्होंने चीनी कंपनियों के साथ व्यापार खत्म कर दिया है और नये बाजार की तलाश कर रहे हैं. चीन के विकल्प के रूप में मुंजाल जिन देशों पर विचार कर रहे हैं, उनमें जर्मनी सबसे आगे है. उन्होंने कहा कि हीरो साइकल्स जर्मनी में प्लांट लगाने की तैयारी में है, जहां से वह यूरोपीय बाजार की मांग पूरी करेंगे.

मुंजाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में दुनियाभर में साइकिलों की मांग बढ़ गयी है. हीरो साइकल्स इस मांग को पूरी करने के लिए क्षमता का विस्तार कर रही है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि छोटी कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इसलिए हम उनकी मदद को आगे आए हैं और उन्हें तकनीकी सहायता देने को तैयार हैं, ताकि वे उन कलपुर्जों का निर्माण कर सकें, जिन्हें अभी चीन से मंगाया जा रहा है.

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मुंजाल ने कहा कि लुधियाना के धानसु गांव में ‘साइकल वैली’ के बनने के बाद हम चीन से मुकाबला कर सकते हैं. यदि भारत लेटेस्ट कंप्यूटर बना सकता है, तो हम हाईटेक साइकल क्यों नहीं बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में हर तरह की साइकल का निर्माण संभव है.

Posted By : Vishwat Sen

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