Boycott chinese product : सिर्फ भारत में बने प्रोडक्ट के इस्तेमाल करेगा Indian Railways
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे सिर्फ भारत में बने प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने और आयात को शून्य तक ले जाने के लिए प्रयासरत है. रेलवे ने गुरुवार को चीन की एक कंपनी का अनुबंध रद्द करने का फैसला लिया था, जिसके बाद यादव का यह बयान आया है. यादव ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह भी कहा कि हम प्रयास कर रहे हैं कि रेलवे द्वारा निर्मित उत्पादों का निर्यात किया जाए.
नयी दिल्ली : रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे सिर्फ भारत में बने प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने और आयात को शून्य तक ले जाने के लिए प्रयासरत है. रेलवे ने गुरुवार को चीन की एक कंपनी का अनुबंध रद्द करने का फैसला लिया था, जिसके बाद यादव का यह बयान आया है. यादव ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह भी कहा कि हम प्रयास कर रहे हैं कि रेलवे द्वारा निर्मित उत्पादों का निर्यात किया जाए.
यादव से जब पूछा गया कि क्या रेलवे अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लगायी जाने वाली बोलियों में चीनी कंपनियों के शामिल होने पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रहा है, तो उन्होंने कहा कि रेलवे की निविदाओं में अधिकतर घरेलू कंपनियों को आमंत्रित किया जाता है. उन्होंने कहा कि बीते दो-तीन साल से रेलवे ने उत्पादों के आयात में कमी लाने के लिए कई कदम उठाएं हैं.
यादव ने कहा, ‘हमने मेक इन इंडिया नीति लागू की है. हमारी सिग्नल सिस्टम (निविदा शुरू करने की नीति) इसके उदाहरण हैं. हमारे यहां मेक इन इंडिया के तहत 70 फीसदी से अधिक काम किए गए हैं.’ उन्होंने कहा कि हम भारत में बने उत्पाद का अधिक से अधिक इस्तेमाल सुनिश्चित करना चाहते हैं. हम रेलवे द्वारा निर्मित उत्पादों का निर्यात भी करने का भी प्रयास कर रहे हैं.
रेलवे ने गुरुवार को कहा था कि उसने कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल और दूरसंचार के काम में धीमी प्रगति के कारण चीन की एक कंपनी का ठेका रद्द करने का निर्णय लिया है. रेलवे ने कहा था कि कंपनी को 2019 तक काम पूरा कर लेना था, लेकिन अभी तक वह सिर्फ 20 फीसदी ही काम कर पायी है.
गौरतलब है कि भारतीय रेलवे ने गुरुवार को चीन की कंपनी बिजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन लिमिटेड को इस रेल खंड पर 417 किलोमीटर लंबे लाइन पर सिग्नल और दूरसंचार के काम का ठेका दिया था. कंपनी को 2016 में ही यह कॉन्ट्रेक्ट मिला था. मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए समर्पित इस खंड ‘ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ के सिग्नल और दूरसंचार का काम रेलवे ने 2016 में दिया था. यह ठेका 417 करोड़ रुपये का है.
Posted By : Vishwat Sen
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