चीन को ब्रिटेन ने भी दिया झटका : टेलिकॉम कंपनी हुआवेई के 5जी नेटवर्क को सात साल तक के लिए किया बैन
भारत में सीमा विवाद को लेकर चीनी सामानों का विरोध और उन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बीच अब चीन को ब्रिटेन से भी झटका लगा है. हांगकांग के साथ चीन का जारी तनाव के दौरान अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने चीनी टेलिकॉम कंपनी हुआवेई को 5जी नेटवर्क बनाने को लेकर बैन कर दिया है. ब्रिटेन की सरकार ने टेलिकॉम कंपनियों को आदेश दिया है कि वे 2027 तक 5जी नेटवर्क से हुआवेई के सभी उपकरणों को हटा दें. इससे पहले अमेरिका ने भी हुआवेई के सभी उपकरणों को प्रतिबंधित किया था.
लंदन : भारत में सीमा विवाद को लेकर चीनी सामानों का विरोध और उन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बीच अब चीन को ब्रिटेन से भी झटका लगा है. हांगकांग के साथ चीन का जारी तनाव के दौरान अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने चीनी टेलिकॉम कंपनी हुआवेई को 5जी नेटवर्क बनाने को लेकर बैन कर दिया है. ब्रिटेन की सरकार ने टेलिकॉम कंपनियों को आदेश दिया है कि वे 2027 तक 5जी नेटवर्क से हुआवेई के सभी उपकरणों को हटा दें. इससे पहले अमेरिका ने भी हुआवेई के सभी उपकरणों को प्रतिबंधित किया था.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद यह फैसला किया गया कि देश में 5जी नेटवर्क के निर्माण में चीनी कंपनी की भागीदारी को खत्म किया जाएगा. ब्रिटेन की जॉनसन सरकार ने यह फैसला राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद किया है. चीनी कंपनी हुआवेई पर डेटा चोरी और गुप्त सूचनाओं को लीक करने का आरोप है.
ब्रिटेन के संस्कृति सचिव ओलिवर डाउडेन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) ने चेतावनी दी थी कि अमेरिका के प्रतिबंध के बाद हुआवेई की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं. 5जी नेटवर्क में हुआवेई की मौजूदगी से देश की सुरक्षा को खतरा पहुंच सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटेन को भरोसा नहीं है कि हुआवेई अपने उपकरणों की सुरक्षा को लेकर कोई गांरटी दे पाएगी.
चीनी टेलिकॉम कंपनी हुआवेई पर अमेरिका ने इसी साल 30 जून को प्रतिबंध लगाया था. यूएस फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन ने 5-0 से मतदान कर चीन की टेक कंपनी हुआवेई और जेडटीई को राष्ट्रीय खतरा बताया था. इसके साथ ही, अमेरिकी कंपनियों को उपकरण खरीदने को लेकर मिलने वाले 8.3 अरब डॉलर के फंड को ट्रंप सरकार ने रोक दिया था. अमेरिकी दूरसंचार विनियामक ने नवंबर में ही इसे लेकर 5-0 से मतदान किया था.
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Posted By : Vishwat Sen
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