नयी दिल्ली : कोविड-19 बीमारी के इलाज के लिए दवा बनाने वाली कंपनियों की सूची में सोमवार को एक और कंपनी शामिल हो गयी है. भारतीय दवा विनियामक की ओर से भारत सीरम्स एंड वैक्सीन लिमिटेड (बीएसवीएल) को सांस लेने में दिक्कत वाले गंभीर कोविड-19 मरीजों पर पहले से मौजूद यूलिनैस्टेटिन दवा के परीक्षण की मंजूरी मिल गयी है. इस दवा का परीक्षण कोरोना वायरस के संभावित इलाज के तौर पर किया जाएगा. भारत सीरम्स से पहले सन फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स और स्ट्राइडेस फार्मा साइंस को कोविड-19 के संभावित इलाज के लिए दवा के मानवीय परीक्षण की मंजूरी मिल चुकी है.
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बीएसवीएल ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उसके भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से हल्के से सामान्य लक्षण वाले श्वसन संबंधी तीव्र बीमारी (एआरडीएस) से ग्रस्त कोविड-19 संक्रमित मरीजों पर यूलिनैस्टेटिन के तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति मिली है. यूलिनैस्टेटिन को अभी भारत में पुराने सड़े घावों (सेपसिस) और गंभीर आग्नायकोप के इलाज में उपयोग की मंजूरी है.
कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव नवांगुल ने कहा कि यूलिनैस्टेटिन का उपयोग उन कोविड-19 संक्रमित मरीजों पर किया जाएगा, जो गंभीर हैं और उन्हें एआरडीएस की वजह से अस्पताल में भर्ती किया गया है. यह ह्यूमैन टेस्ट छह से आठ अस्पतालों में किया जाएगा.
गौरतलब है कि देश में कोरोनावायरस के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. पिछले 24 घंटों में इस महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 2.56 लाख पहुंच गयी है. दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि भारत में अभी कोविड-19 का चरम पर पहुंचना बाकी है.
उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के गणितीय विश्लेषण से इस बात का भी पता चलता है कि इस साल सितंबर से देश में कोरोनावायरस के मामलों में कमी आने लगेगी. इस अध्ययन के मुताबिक, जितने लोग कोरोनावायरस से प्रभावित हो रहे हैं, अगर उतने ही लोग इससे स्वस्थ भी हो रहे हैं, तो यह मान लिया जाएगा कि महामारी का असर देश में कम हो रहा है. अध्ययन के मुताबिक, इस रेट से यह पता चलेगा कि देश में वायरस का संक्रमण घट रहा है.
Posted By : Vishwat Sen