क्या आप जानते हैं कि बजट का आम आदमी की जेब पर कैसे पड़ता है असर? आसानी से समझें पूरी बात…
Budget 2021: क्या आपको इस बात की जानकारी है कि हर सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले सालाना बजट से आम आदमी की जेब पर प्रभाव पड़ता है?
Budget 2021: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 जनवरी 2021 को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट को संसद में पेश करेंगी. उनका यह बजट मोदी सरकार का तीसरा और कोरोना काल का पहला बजट होगा. कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक संकट के इस दौर में आम बजट काफी महत्वपूर्ण हो गया है. इस साल के बजट में सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए कई प्रकार की घोषणाएं और नए प्रावधान किए जा सकते हैं. इस बीच, बड़ा सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या आपको इस बात की जानकारी है कि हर सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले सालाना बजट से आम आदमी की जेब पर प्रभाव पड़ता है? आइए, आसान तरीकों से जानते हैं पूरी बात…
नई योजनाओं का ऐलान
संसद में हर साल पेश होने वाले बजट में सरकार की ओर से कई नई योजनाओं की घोषणा करती है. पिछले साल के बजट में पुराने कर विवादों को निपटाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘विवाद से विश्वास’ योजना का ऐलान किया था. प्रत्यक्ष कर से जुड़े विवाद को लेकर ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम के तहत करदाता को 31 मार्च, 2020 तक बकाए की केवल विवादित कर राशि ही जमा कराने का ऐलान किया गया. ऐसा करने पर जुर्माना और ब्याज माफ देने की बात कही गई थी.
आयकर में नए प्रावधान एवं संशोधन
सरकार के बजट में आयकर सबसे महत्वपूर्ण विषय माना जाता है. बजट में ही सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए आम करदाताओं को आयकर में छूट देने की सीमा तय करने का ऐलान करती है. इसके अलावा, अब किसी चीज पर टैक्स बिल्कुल नहीं लगेगा या ज्यादा लगेगा, टैक्स के दायरे में कौन सा नया निवेश, सेवा या खरीदारी आदि आएगी या इनमें से किस पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जाएगी, किसे टैक्स छूट से बाहर किया जाएगा आदि मामलों पर फैसले बजट में ही लिए जाते हैं.
उपकर, ड्यूटी और बिक्रीकर
आपको यह भी बता दें कि सरकार बजट में उपकर, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और आयात शुल्क को बढ़ाने या घटाने का फैसला करती है. अगर सरकार इन शुल्कों में बढ़ोतरी या कटौती करती है, तो उसका सीधा असर देश के आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ता है. उत्पादों पर अधिक शुल्क लगने की वजह से निर्माता उपभोक्ता सामानों को महंगा कर देंगे. वहीं, शुल्कों में कटौती करने पर उपभोक्ता सामानों के निर्माता भी कीमतों को कम करेंगे, जिसका सीधा प्रभाव उपभोक्ताओं के घरेलू बजट पर पड़ता है.
शिक्षा और बुनियादी ढांचा विकास की घोषणाएं
बजट में ही सरकार की ओर से शिक्षा और बुनियादी ढांचा विकास के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का ऐलान किया जाता है. शिक्षा के क्षेत्र के लिए सरकार की ओर से घोषणाएं करके बच्चों के भविष्य के बारे में फैसला किया जाता है और देश में श्रमशक्ति को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है. इसके साथ ही, बुनियादी ढांचा विकास यानी सड़क, बिजली, पानी, आवास, अस्पताल आदि के विकास और उनके रखरखाव के मद में खर्च करने के लिए सरकार की ओर से घोषणाएं की जाती हैं. सरकार के इन कदमों का सीधा असर देश के आदमी पर पड़ता है.
रेलवे का मालभाड़ा
अगर बजट में सरकार की ओर से रेलवे का मालभाड़ा बढ़ोतरी की जाती है, तो किसी भी सामान के परिवहन की लागत बढ़ जाएगी. बढ़ी हुई परिवहन लागत आम जनता से ही वसूली जाती है. परिवहन लागत बढ़ने की वजह से उत्पादों की कीमतें भी बढ़ जाती हैं और यह महंगाई को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं.
Posted By : Vishwat Sen
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