वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेंशन और ब्याज आय वाले 75 साल से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल में बड़ी राहत तो दी, लेकिन बुढापे के लिए पीएफ में अधिक पैसे जमा करने वालों को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा झटका दिया है.
2021-22 के बजट से वैसे लोगों को बड़ा झटका लगा है, जो पीएफ में अधिक पैसा जमा कर आयकर छूट का लाभ लेते थे. मोदी सरकार ने अपने ताजा बजट में इस छूट को खत्म कर दिया है. 2021 के बजट में यूलिप की धारा 10 (10डी) के तहत एक साल में 2.5 लाख रुपये से अधिक के प्रीमियम पर कर छूट को हटाने का प्रस्ताव किया गया है.
अब एक साल में ढाई लाख या उससे अधिक पैसा पीएफ में जमा करने पर उससे मिलने वाले ब्याज पर टैक्स को खत्म कर दिया गया है. हालांकि इससे वैसे लोग की प्रभावित होंगे, जिनकी सैलरी अधिक है. इसे इस प्रकार समझ सकते हैं कि अगर कोई व्यक्ति हर महीने 21 हजार या उससे अधिक पीएफ में जमा करता है, तो उसे टैक्स देना होगा. हालांकि अगर 20 हजार या उससे कम अंशदान पर टैक्स से राहत होगी.
इस साल 1 अप्रैल से नया वेज कोड भी आने वाला है. जिसमें बेसिक सैलरी व्यक्ति की कुल आय का कम से कम 50 प्रतिशत होना चाहिए. इस नये नियम के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में भी बदलाव होगा. जिसके बाद पीएफ में अंशदान भी बढ़ेगा.
इधर मोदी सरकार की इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया भी आने लगी है. एक यूजर ने लिखा, जब वित्त मंत्रालय ने इपीएफ में 8.5 प्रतिशत इंट्रेस्ट रेट रखा था तो मैं अर्थव्यवस्था की हालत देखकर चकित हो गया. अब पता चला. 2.5 लाख रुपये पर इंट्रेस्ट अब टैक्स के दायरे में होगा. यानी इस हाथ से दिया, उस हाथ से लिया.
Posted By – Arbind kumar mishra
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