Budget 2023 में इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष फोकस, महिला सम्मान बचत पत्र योजना का ऐलान
अभी तक डायरेक्ट टैक्स पर जो छूट 2.5 लाख थी, उसे बढ़ाकर 3 लाख कर दिया गया है. बाकी स्लैब में भी थोड़ी-थोड़ी छूट दी गयी है. हां, मगर ये सारे लाभ नये टैक्स रिजीम में दिये गये हैं. पुराने टैक्स रिजीम को अपनाने वाले टैक्स पेयर्स को इस तरह का कोई लाभ नहीं मिलेगा.
-आर्थिक विशेषज्ञ अरविंद मोहन से प्राची खरे की खास बातचीत-
आर्थिक विशेषज्ञ अरविंद मोहन ने बजट 2023 को बेहतर बताया. उन्होंने बातचीत में कहा, सरकार के बीते बजटों से इसकी तुलना की जाये, तो इस बार कई अच्छी घोषणाएं की गयी हैं. पहली यह कि पूंजीगत व्यय में करीब 30 से 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ा कर 10 लाख करोड़ कर दिया गया है. दूसरी ओर इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष फोकस किया गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर 4 लाख करोड़ से ज्यादा का व्यय है, जिसमें 2 लाख 40 हजार करोड़ का रेलवे पर, 75 हजार करोड़ का रोड पर, लगभग 79 हजार करोड़ का पीएम आवास पर और 10 हजार करोड़ का अर्बन डेवलपमेंट पर व्यय निर्धारित किया गया है. इस कदम से ग्रोथ की संभावनाएं बढ़ेंगी.
टैक्स छूट को समझें
इसी के साथ दसियों साल बाद बजट में डायरेक्ट टैक्स की ब्याज दरों में परिवर्तन किये गये हैं. अब 7 लाख की आमदनी वाले लोग अपना पूरा टैक्स बचा सकते हैं. अभी तक डायरेक्ट टैक्स पर जो छूट 2.5 लाख थी, उसे बढ़ाकर 3 लाख कर दिया गया है. बाकी स्लैब में भी थोड़ी-थोड़ी छूट दी गयी है. हां, मगर ये सारे लाभ नये टैक्स रिजीम में दिये गये हैं. पुराने टैक्स रिजीम को अपनाने वाले टैक्स पेयर्स को इस तरह का कोई लाभ नहीं मिलेगा. बजट में पुराने रिजीम को अपनाने वाले टैक्स पेयर्स को नये टैक्स रिजीम की तरफ आकर्षित करने के प्रयास भी किये गये हैं. अब तक जो पुराना टैक्स रिजीम था, उसमें तरह-तरह की छूट जैसे घर बनाने के लिए लोन लेने पर ब्याज के भुगतान में दो लाख तक की छूट व स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार रुपये मिलता था. ये लाभ नये टैक्स रिजीम में नहीं दिये जाते थे. अब नये टैक्स रिजीम को अपनाने वाले ऐसे व्यक्ति जिनकी आय साढ़े 15 लाख से ऊपर है, उनको भी टैक्स डिडक्शन का लाभ दे दिया गया है. इस कदम से 15 से 20 लाख तक की इनकम वाले लोगों को लाभ मिलेगा. नये युवा जो हाल में इंप्लॉयमेंट से जुड़े हैं, उनको भी फायदा होगा. इसका एक बड़ा प्रभाव यह देखने को मिलेगा कि टैक्स देने के बाद आम आदमी के हाथ में जो इनकम बचती है, वह बढ़ेगी.
एग्री स्टार्टअप्स का होगा दूरगामी प्रभाव
बजट में पहली बार एग्री स्टार्टअप्स पर फोकस करते हुए एक फंड रेज किया गया है. इसका निश्चित तौर पर दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकता है. एग्रीकल्चर क्षेत्र के लिए जैसे-जैसे नये स्टार्टअप्स आयेंगे, नयी टेक्नोलॉजी डेवलप होगी, इसका कृषि पर सकारात्मक असर दिखायी देगा. लंबे समय से एग्रीकल्चर के विकास के लिए कॉरपोरेटिव फार्मिंग को दरकिनार किया जा रहा है. इस बार कॉरपोरेटिव फार्मिंग पर भी फोकस करने की कोशिश की गयी है. 1950 या 1960 के दशक में जो सेकेंड रूरल इंक्वायरी कमेटी थी, उसने कहा था कि भारत में कॉरपोरेटिव फार्मिंग मॉडल विफल हो चुका है, लेकिन भारत की तरक्की के लिए कॉरपोरेटिव फार्मिंग को बढ़ावा देना ही होगा. बजट 2023 इस बात पर फोकस करता है. कॉरपोरेटिव फार्मिंग छोटे किसानों की मदद करने के लिए एक सही दिशा है. इस बजट में 157 नयी कॉरपोरेटिव सोसाइटी स्थापित करने की बात कही गयी है, जो एक अच्छा कदम साबित होगा.
शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर बजट में कुछ खास नहीं
वहीं शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर बजट में कुछ खास नहीं है. इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से देश में रोजगार के नये अवसर जरूर बनेंगे, लेकिन बड़े स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए अन्य प्रयास करने होंगे. बजट में महिलाओं के लिए महिला सम्मान बचत पत्र योजना की घोषणा की गयी है, जिसमें महिलाओं को 2 लाख की बचत पर 7.5 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा. महिलाओं के लिए बचत योजना की शुरुआत करने से ज्यादा महत्वपूर्ण उन्हें रोजगार से जोड़ना है. हमारे देश में 15 से 60 वर्ष का आयु वर्ग, जिसे हम वर्किंग पापुलेशन कहते हैं, उसमें महिलाओं की भागीदारी मात्र 18 प्रतिशत है, यानी 80-82 प्रतिशत महिलाएं हमारी वर्कफोर्स का हिस्सा नहीं बन पा रही हैं. यह देश के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि हिंदुस्तान में जितना इंवेस्टमेंट जनरेट हो रहा है, वो डोमेस्टिक सेविंग व डेमोग्राफिक डिविडेंड से आता है. डेमोग्राफिक डिविडेंड जनरेट करने में महिलाओं की भागीदारी कम है, इसी के चलते हम अच्छी सेविंग व इंवेस्टमेंट नहीं जनरेट कर पा रहे हैं. पिछले एक दशक से हम यह देख रहे हैं कि वक्त के साथ लोगों का इंवेस्टमेंट रेट कम होता जा रहा है. इंवेस्टमेंट रेट को बढ़ाने के लिए रोजगार में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना होगा. देश की तरक्की में महिलाओं की भागीदारी केवल बचत तक सीमित नहीं है, वे इससे कहीं ज्यादा योगदान दे सकती हैं. महिलाओं को वर्कफोर्स से जोड़ना अब उनकी नहीं, बल्कि देश की जरूरत बन चुका है, जिसके लिए सरकार को अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे.
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