Budget 2024: अंतरिम बजट में नौकरीपेशा को मिलेगी इनकम टैक्स में बड़ी छूट! विशेषज्ञों से जानें A to Z

Budget 2024: टैक्स पर अर्थशास्त्रियों की राय इसपर अलग-अलग है. कुछ का कहना है कि सरकार आम चुनावों से पहले अगले महीने पेश होने वाले अंतरिम बजट में मानक कटौती की राशि बढ़ाकर आयकरदाताओं को राहत देने के साथ महिलाओं के लिए अलग से कुछ कर छूट दे सकती है.

By Agency | January 21, 2024 2:39 PM
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Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अगले कुछ दिन में आम बजट पेश करेंगी. बजट में खासकर नौकरीपेशा लोगों की नजर मुख्य रूप से आयकर के मोर्चे पर होने वाली घोषणाओं और राहत पर होती है. अर्थशास्त्रियों की राय इसपर अलग-अलग है. कुछ का कहना है कि सरकार आम चुनावों से पहले अगले महीने पेश होने वाले अंतरिम बजट में मानक कटौती की राशि बढ़ाकर आयकरदाताओं को राहत देने के साथ महिलाओं के लिए अलग से कुछ कर छूट दे सकती है. हालांकि, कुछ यह भी मानते हैं कि यह अंतरिम बजट है, ऐसे में आयकर मामले में बदलाव की उम्मीद नहीं है. वित्त मंत्री सीतारमण लोकसभा में एक फरवरी को 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करेंगी. यह उनका छठा बजट है.

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कटौती की राशि बढ़ा सकती है सरकार

सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के चेयरमैन सुदिप्तो मंडल ने कहा कि अंतरिम बजट में नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग को आयकर मोर्चे पर कुछ राहत मिल सकती है. मानक कटौती की राशि बढ़ाकर कुछ राहत दिये जाने की उम्मीद है. लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि गरीब और निम्न मध्यम वर्ग आयकर नहीं देता है. फिलहाल मानक कटौती के तहत 50,000 रुपये की छूट है. करदाताओं को राहत से जुड़े सवाल के जवाब में लखनऊ स्थित गिरि विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रमोद कुमार ने कहा कि इसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है. यह आर्थिक कारकों के अलावा कई अन्य चीजों पर भी निर्भर करता है. हालांकि, इस तथ्य को देखते हुए कि यह आम चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश किया जा रहा है, करदाताओं के वोट को आकर्षित करने के लिए कुछ रियायतें दी जा सकती हैं.

टैक्स में ज्यादा बदलाव की उम्मीद कम

अर्थशास्त्री और वर्तमान में बेंगलुरु के डॉ. बी आर आंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि यह अंतरिम बजट होगा. ऐसे में कर व्यवस्था में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसका मकसद पूरे साल का बजट पेश होने तक केवल व्यय बजट पर मंजूरी लेने का होता है. मुझे आयकर व्यवस्था में किसी भी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है. वर्तमान में पुरानी कर व्यवस्था के तहत 2,50,000 रुपये तक की आय पर कर की दर शून्य है. वहीं 2,50,001 रुपये से 5,00,000 लाख रुपये तक की आय पर कर की दर पांच प्रतिशत, 5,00,001 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 10,00,001 और उससे अधिक की आय पर कर की दर 30 प्रतिशत है. वहीं नई व्यवस्था में तीन लाख रुपये तक की आय पर कर की दर शून्य है. 3,00,001 से 6,00,000 रुपये तक की आय पर पांच प्रतिशत, 6,00,001 से 9,00,000 रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत, 9,00,001 रुपये से 12,00,000 रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 12,00,001 से 15,00,000 रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 15,00,000 रुपये से अधिक की आय पर कर की दर 30 प्रतिशत है. दोनों कर व्यवस्था में कर राहत दी गयी है.

न्यू टैक्स पॉलिसी में मिलती है सात लाख की छूट

नई कर व्यवस्था के तहत आयकर कानून की धारा 87ए के तहत सात लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्ति कर छूट के पात्र होंगे. वहीं पुरानी व्यवस्था के तहत कर का भुगतान करने वालों के लिए छूट की सीमा पांच लाख रुपये बनी हुई है. आर्थिक शोध संस्थान, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि महिला मतदाताओं पर जोर को देखते हुए आयकर कानून की धारा 88सी के तहत महिलाओं के लिए कुछ अलग से कर छूट मिल सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि आयकरदाता भारतीय आबादी का एक छोटा हिस्सा हैं, ऐसे में महिलाओं और पुरुषों के लिए कर राहत से जुड़ी घोषणाओं का कम ही प्रभाव पड़ता है. बजट में नई कर व्यवस्था को सरल बनाने के लिए कदम उठाये जाने के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति ने कहा कि कर व्यवस्था का सरलीकरण एक सतत प्रक्रिया है. अधिक आंकड़े आने और बढ़ती प्रौद्योगिकी और बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ निश्चित रूप से इसपर काम करने की आवश्यकता है.

टैक्स की सरल प्रक्रिया जरूरी

म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस (आईआईपीएफ) की संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य की भी भूमिका निभा रही लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि कर दक्षता के लिए सरल कर प्रणाली महत्वपूर्ण है. पिछले बजट में सरकार ने कुछ कदम उठाये थे, लेकिन वे बहुत स्पष्ट नहीं थे और लोग स्पष्टता चाहते हैं. मंडल ने कहा कि इस अंतरिम बजट में और नई कर व्यवस्था को और अधिक सरल बनाये जाने की संभावना नहीं है. आम चुनाव के बाद नई सरकार के सत्ता में आने पर पूर्ण बजट में ही ऐसा हो सकता है.

(भाषा इनपुट)

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