Budget 2024: अंतरिम बजट में छायी रहेगी ‘मोदी की गारंटी’, मध्य वर्ग और किसानों को मिलेगा ये बड़ा तोहफा

Budget 2024: बजट में मोदी की गारंटी के छाए रहने की संभावना है. इसका अर्थ है कि देश के सबसे बड़े तबके किसान, मध्यवर्ग और महिलाओं पर सरकार का फोकस हो सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2024 8:16 AM
an image

Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा तीन दिनों के बाद सरकार के इस कार्यकाल का अंतरिम बजट (Antarim Budget) पेश किया जाना है. चुनाव पूर्व आने वाले इस बजट से लोगों को काफी अपेक्षाएं हैं. हर सेक्टर को उम्मीद है कि उन्हें कुछ खास मिल सकता है. समझा जा रहा है कि सरकार का ये बजट अगले पूर्ण कालिक बजट का ओवर ड्राफ्ट हो सकता है. इस बजट में मोदी की गारंटी के छाए रहने की संभावना है. इसका अर्थ है कि देश के सबसे बड़े तबके किसान, मध्यवर्ग और महिलाओं पर सरकार का फोकस हो सकता है. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इस बारे में कहा कि सरकार के आम चुनाव से पहले पेश किए जाने वाले बजट में ‘मोदी की गारंटी’ की छाप रहने की संभावना है. इस अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों समेत मतदाताओं के बड़े वर्ग को आकर्षित करने के लिए ‘लोकलुभावन योजनाएं’ पेश की जा सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस गारंटी को पूरा करने के लिए अगर जरूरत हुई, तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर थोड़ी रियायत भी ले सकती है.

Also Read: ‍Budget 2024: निर्मला सीतारमण आजादी के बाद देश का 15वां अंतरिम बजट करेंगी पेश, इन 10 बिंदुओं पर होगी सबकी नजर

2019 के अंतरिम बजट में मिले थे कई लाभ

सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि वास्तव में, लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाला अंतरिम बजट, सत्ता में मौजूद पार्टी के लिए मुफ्त एवं लोकलुभावन योजनाओं के जरिये मतदाताओं को आकर्षित करने का एक मौका होता है. वर्ष 2019 में आम चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में भी हम ऐसा होते हुए देख चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने 2019 में मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों – को लक्षित किया था. कुल मिलाकर ये लगभग 75 करोड़ मतदाता हैं. ऐसी संभावना है कि सरकार इस बार भी इन मतदाताओं का खास ध्यान रखेगी. उस समय वित्त मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मध्यम वर्ग को आकर्षित करने के लिए पांच लाख रुपये तक की कर-योग्य आय को आयकर से छूट दी थी. साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 12 करोड़ किसानों को सालाना 6,000 रुपये नकद भी उपलब्ध कराने की घोषणा की. इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र (पीएम श्रम योगी मानधन -एसवाईएम) से जुड़े 50 करोड़ श्रमिकों को सेवानिवृत्ति पेंशन में सरकारी योगदान का भी प्रस्ताव किया गया था. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर ‘मोदी की गारंटी’ की छाप इस बार के अंतरिम बजट में भी देखने को मिल सकती है.

राज्यों के चुनाव में दिखी थी ताकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कई घोषणाएं कीं. इसमें अन्य बातों के अलावा 450 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर, गरीब महिलाओं को 1,250 रुपये का नकद हस्तांतरण, 21 साल की उम्र की तक गरीब लड़कियों को दो लाख रुपये आदि की घोषणाएं शामिल हैं और इन्हें ‘मोदी की गारंटी’ का नाम दिया गया. पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी और वेतन कटौती को लेकर काफी संकट है. केंद्र सरकार के पास असंगठित क्षेत्र के 30 करोड़ श्रमिकों का आंकड़ा है. वित्त मंत्री इन श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए कुछ घोषणाएं कर सकती हैं. उन्हें सालाना कुछ नकद राशि देने की घोषणा की जा सकती है. बता दें कि बिहार सरकार ने हाल ही में 6,000 रुपये प्रति माह से कम आय वाले 94 लाख गरीब परिवारों को दो लाख रुपये देने की घोषणा की है. इसको देखते हुए अंतरिम बजट में इस तबके को प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता दिये जाने की संभावना है.

5.9 प्रतिशत रहेगा सरकार का राजकोषीय घाटा

पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इन घोषणाओं से राजकोषीय घाटे की स्थिति पर पड़ने वाले सवाल के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटा 17.9 लाख करोड़ रुपये यानी 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है. यह अनुमान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 301.8 लाख करोड़ रुपये के अनुमान पर आधारित था. 2023-24 के पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी 296.6 लाख करोड़ रुपये रहने पर यह छह प्रतिशत यानी 17.8 लाख करोड़ रुपये बनता है. यह बजट में तय लक्ष्य के लगभग बराबर है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है. यानी वर्तमान के छह प्रतिशत की तुलना में इसमें 1.5 प्रतिशत की कमी लानी होगी. उन्होंने ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि सरकार बाजार मूल्य पर 10.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के साथ 2024-25 में जीडीपी का अनुमान 327.7 लाख करोड़ रुपये रख सकती है. ऐसे में राजकोषीय घाटे में 0.75 प्रतिशत कटौती करने का मतलब है कि व्यय में 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमी करनी होगी. यह मुश्किल लगता है. दूसरी तरफ सरकार की लोकलुभावन योजनाओं पर भी खर्च होने की संभावना है.

कर संग्रह बजट अनुमान से कहीं बेहतर

राजस्व मोर्चे पर स्थिति के बारे में पूछे जाने पर गर्ग ने कहा कि आयकर संग्रह बजट अनुमान से कहीं बेहतर रहेगा. जीएसटी लक्ष्य के अनुरूप है. सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क का प्रदर्शन जरूर खराब रहा है. लेकिन आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) और पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) से अधिक लाभांश आने के कारण गैर-कर राजस्व, बजट अनुमान से अधिक होगा. विनिवेश आय ने काफी निराश किया है. कुल मिलाकर, अतिरिक्त व्यय के लिए गैर-ऋण प्राप्तियां अच्छी स्थिति में रहने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में आयकर और कॉरपोरेट कर संग्रह में उछाल दिख रहा है. इससे कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से लगभग एक लाख करोड़ रुपये अधिक रह सकता है. सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रत्यक्ष करों से 18.23 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट लक्ष्य रखा था. इस मद में 10 जनवरी, 2024 तक कर संग्रह 14.70 लाख करोड़ रुपये हो चुका था, जो बजट अनुमान का 81 प्रतिशत है. अभी वित्त वर्ष पूरा होने में दो महीने महीने से अधिक का समय बाकी है.

(भाषा इनपुट)

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Exit mobile version