आज पेश होने वाले केन्द्रीय बजट से भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए काफी उम्मीदें हैं. भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस व्यक्त ऐसे दौर से गुजर रहा है. जहाँ EV और Hybrid जैसे विभिन्न हितधारक सरकारी सहायता के लिए होड़ कर रहे हैं.
Hybrid वाहन
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने ने FAME योजना के तहत मजबूत हाइब्रिड वाहनों को पंजीकरण शुल्क से छूट देकर एक कदम आगे बढ़ाया है. जिसके बाद ऑटो दिग्गज मारुति सुजुकी और टोयोटा किर्लोस्कर अन्य हाइब्रिड कारों पर कर कटौती के लिए जोर दे रहे हैं, फिलहाल हाइब्रिड कारों पर 28% का जीएसटी इन कारों को महंगा बना रही हैं और इनके लोकप्रियता में बाधक हैं. हाइब्रिड कारें पेट्रोल या डीजल कारों की तुलना में कम प्रदूषण करती हैं.
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Electric वाहनों पर फोकस
पूरी तरह इलेक्ट्रिक रूप में निर्मित Electric Vehicles को लेकर टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियां फोकस किए हुए हैं. EV में फोकस का ही नतीजा है इनमें पर्याप्त निवेश और सरकार की अनुकूल नीतियां कारगर साबित हो रही हैं, जिसमें ईवी पर 5% जीएसटी भी शामिल है. टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियों को डर है कि इस फोकस को कम करने से बढ़ते ईवी उद्योग को नुकसान पहुँच सकता है और भारत के जलवायु लक्ष्यों में बाधा आ सकती है.
EVs की बाधाओं को दूर करना
सीमित चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, उच्च ईवी लागत और रेंज संबंधी चिंताएँ व्यापक रूप से ईवी अपनाने में महत्वपूर्ण बाधाएँ हैं.. जबकि पूर्ण विद्युतीकरण अंतिम लक्ष्य है, वैश्विक स्थिरता प्रयासों के साथ संरेखित करना, वर्तमान बाजार की वास्तविकताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. ये सरकार के सामने एक चुनौतीपूर्ण कार्य है
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता देना
विशेषज्ञ एक संतुलित दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं. विभिन्न विद्युतीकरण स्तरों के लिए एक स्तरीय कर प्रणाली ईवी को बढ़ावा देने से समझौता किए बिना हाइब्रिड को लाभ पहुँचा सकती है. ईवी अपनाने में तेजी लाने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है. इसके अतिरिक्त, घरेलू बैटरी निर्माण को बढ़ावा देने से ईवी लागत और आयात पर निर्भरता कम हो सकती है.
कौशल विकास
कौशल विकास में निवेश करना आवश्यक है क्योंकि उद्योग इलेक्ट्रिक और उन्नत तकनीकों में बदलाव कर रहा है. बजट कौशल अंतर को दूर करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए धन आवंटित कर सकता है.
वाहन स्क्रैपेज नीति
वाहन स्क्रैपेज नीति, जो पुराने, प्रदूषणकारी वाहनों को स्वच्छ विकल्पों से बदलने के लिए प्रोत्साहित करती है, एक और संभावित फोकस क्षेत्र है. वाहन स्क्रैपेज नीति के तहत पुराने वाहनों को स्क्रैप करने पर और ज्यादा जोर देने की जरूरत है.
आगामी बजट सरकार के लिए ऑटोमोटिव उद्योग के लिए अपने समर्थन को मजबूत करने और इसे हरित भविष्य की ओर ले जाने का एक अवसर है. अल्पकालिक उद्योग की जरूरतों और दीर्घकालिक पर्यावरणीय लक्ष्यों के बीच सही संतुलन बनाना आवश्यक होगा.
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