Budget 2025-26: आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में 20% की वृद्धि की घोषणा की जा सकती है. यह कदम घरेलू मांग को बढ़ाने और उपभोक्ताओं के हाथ में खर्च योग्य आय की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अहम हो सकता है. वित्तीय सेवा कंपनी ईवाई ने अपनी रिपोर्ट में इस अनुमान को साझा किया है. इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4% पर रखने का लक्ष्य रख सकती है.
पूंजीगत व्यय और घरेलू मांग का कनेक्शन
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव के अनुसार, “वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत को वृद्धि की गति बनाए रखने के लिए घरेलू मांग पर अधिक निर्भर रहना होगा. इस संदर्भ में पूंजीगत व्यय में वृद्धि के साथ आयकर में कटौती की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे विशेष रूप से निम्न आय और निम्न मध्य आय वर्ग के लोगों के हाथ में खर्च योग्य आय अधिक हो सके. श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि सरकार को पूंजीगत व्यय में वृद्धि के साथ-साथ शहरी उपभोक्ताओं के खर्च योग्य आय में भी बढ़ोतरी करनी चाहिए, जिससे घरेलू मांग में वृद्धि हो सके और आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकें.
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राजकोषीय घाटा और मुद्रास्फीति पर ध्यान
डेलॉयट की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार का कहना है कि मुद्रास्फीति अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है. इस पर नियंत्रण पाने के लिए आगामी बजट में खाद्य मुद्रास्फीति को अलग से रखने का सुझाव दिया गया है, क्योंकि यह मुख्य रूप से आपूर्ति पर आधारित है. इसके साथ ही कृषि मूल्य शृंखला को मजबूत करने और आपूर्ति पक्ष की समस्याओं का समाधान निकालने के दीर्घकालिक उपायों की संभावना जताई जा रही है. आगामी बजट में आर्थिक विकास और राजकोषीय मोर्चे के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत होगी और यह घरेलू मांग को बढ़ाने तथा मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
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