Budget 2025: इनकम टैक्स में कटौती की मांग कर रहे इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स
Budget 2025: बजट 2025 में 57% करदाता आयकर में कटौती की मांग कर रहे हैं. जानें कैसे नई और पुरानी कर व्यवस्था में सुधार की सिफारिशें, रियल एस्टेट और एनपीएस पर राहत की उम्मीदें बजट का मुख्य हिस्सा बन सकती हैं.
Budget 2025: भारत में 57% व्यक्तिगत करदाता चाहते हैं कि सरकार बजट 2025 में आयकर में कटौती की घोषणा करे. हाल ही में बहुराष्ट्रीय पेशेवर सेवा कंपनी ग्रांट थॉर्नटन भारत द्वारा किए गए बजट-पूर्व सर्वेक्षण से यह जानकारी सामने आई है.
करदाताओं की प्रमुख मांगें
- कम आयकर दरें: सर्वेक्षण में शामिल 57% उत्तरदाताओं ने कहा कि आयकर की दरों में कटौती से उनकी व्यय योग्य आय बढ़ेगी.
- छूट की सीमा बढ़ाने की मांग: 25% प्रतिभागी चाहते हैं कि बजट 2025 में कर छूट की सीमा को बढ़ाया जाए.
- पुरानी कर व्यवस्था के प्रोत्साहन में बढ़ोतरी: सर्वेक्षण के अनुसार, 63% करदाता पुरानी कर व्यवस्था के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन में वृद्धि के पक्षधर हैं.
नई कर व्यवस्था को आकर्षक बनाने के उपाय
- 46% प्रतिभागियों ने नई कर व्यवस्था के तहत आयकर दरों को कम करने की वकालत की.
- 26% ने छूट की सीमा बढ़ाने की सिफारिश की.
रियल एस्टेट और करदाताओं की चिंताएं
- आवासीय संपत्ति पर नुकसान की भरपाई: 53% करदाता नई कर व्यवस्था के तहत आवासीय संपत्ति पर होने वाले नुकसान की भरपाई की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं.
- सेट-ऑफ सीमा बढ़ाने की मांग: 47% लोगों का कहना है कि पुरानी व्यवस्था में ‘सेट-ऑफ’ की सीमा को बढ़ाया जाए या दो लाख रुपये की सीमा को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए.
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और ईवी पर राहत की उम्मीदें
ग्रांट थॉर्नटन भारत के साझेदार अखिल चांदना ने कहा कि एनपीएस के तहत कर कटौती की सीमा बढ़ाने और निकासी के नियमों को अधिक लचीला बनाने से करदाताओं को अपनी सेवानिवृत्ति की बचत बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की खरीद पर कटौती को बहाल करने और अनुलाभ कराधान नियमों पर स्पष्टता लाने की भी उम्मीद जताई जा रही है.
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आयकर में कटौती और छूट प्रमुख
बजट 2025 को लेकर करदाताओं की प्रमुख मांग है कि आयकर में कटौती और छूट की सीमा बढ़ाने जैसे उपाय किए जाएं. साथ ही, एनपीएस और रियल एस्टेट निवेश के लिए प्रोत्साहन दिए जाएं. सरकार द्वारा इन मांगों को ध्यान में रखकर किए गए बदलाव न केवल करदाताओं को राहत देंगे, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेंगे.
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