नई दिल्ली : चुनावी साल से पहले के आखिरी बजट एक फरवरी को लोकसभा में पेश किया जाएगा. संभावना जाहिर की जा रही है कि इस बजट में सरकार लोकलुभावनी घोषणा करने के साथ ही राजस्व वसूली पर भी जोर दे सकती है, लेकिन आशंका यह जाहिर की जा रही है कि आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि को कायम रखने में सरकार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. सरकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सुस्ती आने और उच्च आधार प्रभाव की वजह से आयकर और कॉरपोरेट कर संग्रह में 19.5 फीसदी की मौजूदा वृद्धि दर को अगले वित्त वर्ष 2023-24 में कायम रख पाना मुश्किल हो सकता है.
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2022-23 में व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर के रूप में वसूला जाने वाला शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में रिकॉर्ड दर से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में निर्धारित कर संग्रह लक्ष्य को भी पार कर लिया है. चालू वित्त वर्ष में 10 जनवरी की तारीख तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.55 फीसदी बढ़कर 12.31 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यह समूचे वित्त वर्ष के लिए अनुमानित कर संग्रह का 86.68 फीसदी है, जबकि वित्त वर्ष पूरा होने में अभी ढाई महीने का समय बचा हुआ है.
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में वैश्विक आर्थिक मंदी की आहट का असर देखा जा सकता है. सरकारी सूत्र ने कहा कि इस बजट में 19.5 फीसदी की मौजूदा कर वृद्धि को बनाए रख पाना मुश्किल होगा. सूत्र ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर में 19.5 फीसदी की वृद्धि दर को कायम रख पाना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के खतरों को देखते हुए आयकर संग्रह में गिरावट आ सकती है.
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बजट से पहले विभिन्न देसी-विदेशी वित्तीय संस्थानों द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2022-23 में देश की वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पादन) वृद्धि दर सात फीसदी रह सकती है. हालांकि, मौजूदा कीमतों पर यह वृद्धि 15.4 फीसदी रहने का अनुमान है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में भारत की वास्तविक वृद्धि दर 6-6.5 फीसदी रह सकती है.